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    कच्चा तेल

    कच्चे तेल के आयात के लिए भारत हमेशा से ही सऊदी अरब पर निर्भर रहा है। अब हालाँकि लगता है कि सऊदी अरब इस दौड़ में पीछे छुट रहा है। सरकार द्वारा हाल ही में जारी की गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में इराक नें भारत को सऊदी अरब से ज्यादा कच्चा तेल निर्यात किया है। इस दौरान कुल तेल का आयात 25.8 मिलियन टन रहा।

    भारत के तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा को जवाब देते हुए कहा कि इराक ने अप्रैल से अक्टूबर की अवधि के दौरान भारत में 25.8 मिलियन टन (मीट्रिक टन) तेल का निर्यात किया है। इसके विपरीत, सऊदी अरब ने केवल 21.9 मिलियन टन (मीट्रिक टन) कच्चा तेल भारत को निर्यात किया है।

    आपको बता दें कि साल 2014 तक सऊदी अरब लगातार तेल निर्यातकों की सूचि में पहले स्थान पर था। साल 2014-15 के बाद हालाँकि इराक नें अपनी पकड़ मजबूत की है। इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान ने लगातार दूसरे वर्ष तीसरे सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता का दर्जा प्राप्त किया है। ईरान ने इसी अवधि के दौरान भारत को 12.5 मिलियन टन की आपूर्ति की है।

    पिछले तीन सालों से बढ़ा है इराक से तेल निर्यात

    उद्योग विश्लेषकों और अधिकारियों के मुताबिक इराक सस्ती व कम लागत में भारत को कच्चा तेल पहुंचा रहा है। इराकी तेल पिछले कुछ वर्षों में काफी महत्वपूर्ण डिस्काउंट पर बेचा जा रहा है। सऊदी अरब व इराक के बीच कच्चे तेल की लागत में पर्याप्त अंतर है।

    इराक के द्वारा भारत में कच्चे तेल का निर्यात पिछले तीन वित्तीय वर्षों में लगातार बढ़ रहा है। इराक द्वारा भारत में तेल की आपूर्ति साल 2014-15 में 24.5 मिलियन टन, साल 2015-16 में 36.8 मिलियन टन और साल 2016-17 में बढ़कर 37.5 मिलियन टन हो गया।

    वहीं सऊदी अरब की बात की जाए तो भारत में कच्चे तेल का निर्यात साल 2015-16 में 40.4 मिलियन टन से साल 2016-17 में घटकर 39.5 मिलियन टन रह गया। इससे साबित होता है कि पिछले तीन सालों में भारत में कच्चे तेल का निर्यात सऊदी अरब की तुलना में इराक से अधिक हुआ है।

    एक उद्योग विशेषज्ञ के मुताबिक अगर इराक इसी तरह से भारत को तेल का निर्यात करता रहा तो वो इस वित्त वर्ष में भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन जाएगा। भारतीय रिफाइनरियां अब बेहतर शोधन क्षमता के साथ आधुनिक हो गई है।