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    भारत नेपाल चीन वाम गठबंधन

    नेपाल की नवनिर्वाचित सरकार ने कहा है कि वो स्वतंत्र विदेश नीति के सिद्धांत पर कार्य करेगी। नेपाल के वाम गठबंधन ने हाल ही में देश में हुए आम चुनावों में भारी मतों से जीत के बाद दावा किया है कि वो स्वतंत्र विदेश नीति के आधार पर पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को विकसित करेंगे।

    नेपाल में सरकार वामपंथी-माओवादी गठबंधन के नेतृत्व में बनने जा रही है। वाम गठबंधन सीपीएन-यूएमएल व सीपीएन-माओवादी ने रविवार को काठमांडू में आयोजित मीटिंग के बाद प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि नेपाल के संविधान में दिए गए निर्देशों के आधार पर, हम अनुकूल राष्ट्रों, विशेष रूप से पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ संबंधों को विकसित करेंगे। इसका मतलब साफ है कि नवनिर्वाचित सरकार भारत व चीन दोनों ही देशों के साथ संबंधों को मजबूती प्रदान करेगी।

    नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के नेतृत्व में सीपीएन-यूएमएल व पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व में सीपीएन माओवादी पार्टी के गठबंधन में नेपाल का आम चुनाव लड़ा जिसमें इन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है।

    वाम गठबंधन ने आम चुनावों में बहुमत हासिल किया है और जनवरी में बनने वाली अगली सरकार का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

    सीपीएन-यूएमएल और माओवादी गठबंधन द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि वाम गठबंधन नेपाल में एक स्थिर सरकार बनाने और चुनावों में किए गए सभी वादों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

    पड़ोसी देशों से मजबूत करने होंगे संबंध

    वाम गठबंधन का कहना है कि नेपाल में नई सरकार की विदेश नीति किसी एक देश के प्रति अधिक झुकाव में नहीं होगी। साथ ही नेपाल की विदेश नीति में किसी देश का अनावश्यक दबाव नहीं होगा। ऐसे में नेपाल में स्वतंत्र विदेश नीति बनाई जाएगी।

    नेपाल के अगले प्रधानमंत्री केपी ओली बनने वाले है। इससे पहले जब केपी ओली ने नेपाल के प्रधानमंत्री का पद संभाला था तब देश में मधेशी आंदोलन हो रहा था। साथ ही नेपाल व भारत के बीच में संबंधों मे कमजोरी भी आ गई थी।

    इसी की वजह से नेपाल ने चीन के संबंधों को मजबूत किए। अब इनके द्वारा जारी बयान से तो लगता है कि नेपाल व भारत के बीच में केपी ओली के नेतृत्व में संबंधो को सुधार मिलेगा।

    केपी ओली को यह विचार करना होगा कि भारत की सहायता के बिना नेपाल का विकास नहीं हो सकता है। क्योंकि भू-राजनीतिक स्थिति के कारण नेपाल की वृद्धि संभव नहीं है। हालांकि नेपाल अपने हितों को ध्यान में रखकर ही पड़ोसी देश के साथ संबंध मजबूत करेगा।