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    बांग्लादेश म्यांमार

    रोहिंग्या मुसलमानों की अभी तक म्यांमार में सुरक्षित घर वापसी शुरू नहीं हुई है। अब म्यांमार का छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को बांग्लादेश के ढ़ाका में होने वाली बैठक में शिरकत करने वाला है। ढ़ाका में संयुक्त कार्यदल (जेडब्ल्यूजी) की स्थापना के लिए बैठक आयोजित की जाएगी जिसका उद्देश्य रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित घर वापसी को लेकर चर्चा करना है।

    एक अखबार के मुताबिक म्यांमार के विदेश मंत्रालय के स्थायी सचिव मइंत थू अपने 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। अखबार ने कहा है कि दोनों देशों के बीच में अभी भी कुछ शर्तों व मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। इसलिए इस बैठक में दोनों देशों की कोशिश रहेगी की रोहिंग्या शरणार्थियों की सक्रिय वापसी शुरू होने से पहले तक दोनों के बीच के सारे मुद्दों को सुलझा लिया जाए।

    बांग्लादेश व म्यांमार के बीच 23 नवंबर को हुए समझौते के मुताबिक दोनों देशों को तीन सप्ताह के भीतर संयुक्त कार्यदल (जेडब्ल्यूजी) का गठन करना था। लेकिन तीन हफ्ते तो 14 दिसंबर को ही पूरे हो चुके है। प्रक्रियात्मक जटिलताओं के चलते संयुक्त कार्यदल (जेडब्ल्यूजी) का गठन करने में दोनों देश विफल रहे है।

    आज होने वाली बैठक में संयुक्त कार्यदल (जेडब्ल्यूजी) के गठन होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। संयुक्त कार्यदल (जेडब्ल्यूजी) के गठन में दोनों देशों के गृह व विदेशी मामलों के कुल 24 अधिकारी शामिल होंगे।

    रोहिंग्या की वापसी से पहले हो पूरे इंतजाम

    गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र व अन्य मानवाधिकार संगठनों ने कहा था कि समय से पहले रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी नहीं होनी चाहिए। इनके मुताबिक म्यांमार के हिंसाग्रस्त इलाके रखाइन प्रांत में पहले वाली सामान्य स्थिति व रोहिंग्या को रहने के लिए घर सहित सुरक्षा के सभी इंतजाम पहले होने चाहिए।

    इसके बाद ही रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की जानी चाहिए। इस बीच, नई दिल्ली में स्थित 19 गैर-निवासी राजदूत व बांग्लादेश में मान्यता प्राप्त अधिकारियों ने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित रोहिंग्या शरणार्थी शिविर का दौरा किया था। जिसमें रोहिंग्या लोगों ने अपने ऊपर हुए सभी अत्याचारों, हिंसा व दमन के बारे में बताया।