ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने गुरूवार को चीन द्वारा ताइवान की यात्रा पर प्रतिबन्ध लगाने की बीजिंग को फटकार लगाई है और कहा कि “इस कदम का मकसद जनवरी में राष्ट्रपति चुनावो में प्रभुत्व कायम करना है।” रायटर्स के मुताबिक, चीन का यात्रा प्रतिबन्ध को गुरूवार को लागू हो जायेगा।
पर्यटन को राजनीतिक हथियार न बनाये
ताइवान के लिए चीनी पर्यटकों की कमी एक धक्का होगा क्योंकि मुख्यभूमि पर्यटकों की वजह से ही दूसरे क्वार्टर में आर्थिक वृद्धि हुई है। राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने पत्रकारों से कहा कि “पर्यटकों को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना ताइवान की जनता के लिए विद्वेष है।”
उन्होंने प्रमुख रणनीति गलती की आलोचना की है। पर्यटन का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। चुनावो के पूर्व पर्यटकों की संख्या में कमी राजनीतिक पर प्रभुत्व को स्थापित करना है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि “इतिहास से दिखेगा कि कौन सा पक्ष गलती कर रहा था।”
हुआ चुन्यिंग ने त्साई के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “यह एक गलती है, मेरे ख्याल से इतिहास प्रदर्शित करेगा कि कौन सा पक्ष सही था और किसने गलती की थी।” चीन के साथ ताइवान के सम्बन्ध अस्थिर है। बीजिंग लम्बे समय से त्साई को चेतावनी के तौर पर देखता है। वह साल 2016 में ताइवान की राष्ट्रपति बनी थी। वह द्वीप को अधिकारिक स्वतंत्रता की तरफ धकेल रही हैं।
चीन ने कहा था कि द्वीप को अपने नियंत्रण में लाने के लिए वह बल का भी इस्तेमाल कर सकता है। बहरहाल, त्साई जनवरी के चुनावो का सामना करने के लिए जूझ रही है। उनकी पार्टी के सुधार एजेंडा की आलोचना की थी और चीन ने कूटनीतिक और सैन्य दबाव बनाया था।
चीन में ताइवान के मामले के प्रवक्ता मा क्सिओगुंग ने कहा कि “त्साई की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ताइवान की आज़ादी की गतिविधियों का प्रचार कर रही है और मुख्यभूमि की तरफ दुश्मनी को बढ़ा रही है, यह द्वीप पर यात्रा करने वाले मुख्यभूमि के पर्यटकों के हालातो को गंभीरता को नजरंदाज करता है।”
ताइवान-चीन के बीच बढ़ता तनाव
मा ने कहा कि “मुझे यकीन है कि दोनों पक्षों के हमवतनो को उम्मीद है कि संबंध शांतिपूर्ण पटरी पर सही तरीके से वापस आ जायेंगे। जल्द से जल्द ताइवान में मुख्यभूमि के निवासियों को यात्रा की अनुमति देगी। चीन ने ताइवान के नजदीक सैन्य ड्रिल से क्षेत्रीय तनाव को बढाया है।”
उन्होंने कहा कि “चीनी सेना ने समस्त ताइवान को निशाना बनाया है और शान्ति, स्थिरता और सुरक्षा को प्रभावित किया है।” बीजिंग ने दोहराया था कि अगर ताइवान की आज़ादी की तरफ एक कदम बढाया तो वह लड़ाई के लिए तैयार है।” अमेरिका और चीन के बीच ताइवान विवाद का एक उभरता हुआ मुद्दा है।
चीन ने दक्षिणी चीनी सागर पर अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है और इस इलाके में अमेरिका ने नौसंचालन गश्त को भी बढ़ा दिया है। बीते हफ्ते, अमेरिकी युद्धपोत ने ताइवान के जलमार्ग पर पैट्रोल किया था जिससे चीन का क्रोध बढ़ गया है।