चीन के आला कूटनीतिज्ञ ने बुधवार को बाहरी देशों को चेतावनी दे कि दक्षिणी चीनी सागर के विवाद को तूल न दे। अमेरिका ने चीन द्वारा संसाधन प्रचुर जल पर अपना दावा करने की आलोचना की थी। थाई राजधानी में समकक्षियो से मुलाकात के बाद चीनी काउंसलर ने एसोसिएशन ऑफ़ साउथ ईस्ट एशियन नेशन के 10 सदस्यो के साथ कोड ऑफ़ कंडक्ट की प्रगति पर चर्चा की थी।
आसियान और चीन के बीच न पड़े बाहरी मुल्क
हाल ही में चीनी और वियतनामी और फिलिपींस के जहाजो के बीच हुई वारदात से दक्षिणी चीनी सागर में तनाव काफी बढ़ गया था। अमेरिका ने चीन के समस्त सागर के दावे को चुनौती दी थी। वांग ने बैंकाक में अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पियो के साथ भी बैठक करेंगे। उन्होंने आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद दोहराया कि चीन इस क्षेत्र के बाहर के देशों की दखलंदाज़ी का विरोध करता है।
उन्होंने कहा कि “हमारे ख्याल से गैर क्षेत्रीय देशों को पूर्व के विवादों या मतभेदों को बढ़ा चढ़ाकर पेश नहीं करना चाहिए।गैर क्षेत्रीय देशों को इन मतभेदों को चीन और आसियान देशों के बीच अविश्वास उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।”
चीन की बढ़ती गतिविधियां
चीन ने हाल ही में कहा था कि “दक्षिणी चीनी सागर में अमेरिका की आलोचना की भूमिका सिर्फ झूठ है।” उन्होंने कहा कि “आसियान देशों के साथ क्षेत्र में संयुक्त सैन्य अभ्यास की स्थापना और विस्तार पर चीन चर्चा कर रहा है।” आसियान के विदेश मंत्रियों के बीच दक्षिणी चीनी सागर एक महत्वपूर्ण मुद्दा था।
उन्होंने अंत में कहा कि “जमीन के दावे, गतिविधियों और गंभीर क्षेत्रीय वारदातों पर कुछ मंत्रियों ने चिंताओं को व्यक्त किया था।” चीन ने दक्षिणी चीनी सागर के विशाल भाग पर अपना दावा किया है जिससे प्रत्येक वर्ष 3.4 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार किया जाता है। इसके अलावा मलेशिया, फिलिपींस, ताइवान और वियतनाम भी इस क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं।
चीन ने दक्षिणी चीनी सागर पर निर्मित कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य उपकरणों की स्थापना कर अमेरिका को क्रोधित किया है। रिसर्चर और विश्लेशको का कहना था कि “चीनी और वियतनामी जहाजो के बीच हालिया मतभेद ने अमेरिका को चीन पर दबाव डालने के लिए एक नया तरीका दे दिया है। लेकिन इस आग को भड़काने में दिलचस्प नहीं है और इसका कारण अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध और हांगकांग में प्रदर्शन है।”
फिलिपींस की यूनिवर्सिटी में दक्षिणी चीनी सागर के जानकार जय बतोंग्बकल ने कहा कि “चीन सबसे ज्यादा इससे चिंतित है कि अमेरिका चीनी गतिविधियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की भरसक कोशिश कर रहा है।”