पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ मुलाकात की थी और इस मुलाकात के बाद इस्लामाबाद की सैन्य सहायता को वांशिगटन ने बहाल कर दिया है। पेंटागन ने सूचना दी कि पाकिस्तान के एफ-16 लडाकू विमानों के तकनीकी और सैन्य संचालन के लिए 12.5 करोड़ डॉलर के निर्णय को मंज़ूरी दे दी है।
पेंटागन ने शुक्रवार को अमेरिकी कांग्रेस में इसका खुलासा किया था और कहा कि यह सहायता बहाल पाकिस्तान के आग्रह पर की गयी है। अमेरिका के 60 अमेरिकी कांट्रेक्टर पाकिस्तान में कार्यक्रम में सहायता के लिए तैनात रहेंगे। पेंटागन ने अमेरिकी कांग्रेस को 67 करोड़ के प्रस्ताव को 11 सी-17 ग्लोबल मास्टर-iii का समर्थित कार्यक्रम है।
अमेरिकी अधिकारीयों ने बताया कि एफ-16 सहयोग कार्यक्रम के बहाल करने का मतलब यह नहीं है कि ट्रम्प प्रशासन पाकिस्तान की सैन्य सहायता को बहाल कर देगा और राष्ट्रपति की जनवरी 2018 में ऐलान किये गए सुरक्षा सहयोग निलंबन में कोई कोई परिवर्तन नहीं होगा।
अमेरिकी मंदारिंस ने कहा कि “इमरान खान की यात्रा का मकसद अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिको की वापसी में पाकिस्तान की मदद प्राथमिकता है।” ट्रम्प ने खुद ही बयान दिया था कि वह पाकिस्तान की 1.3 अरब डॉलर की वार्षिक सहायता को बहल करने के लिए तैयार है जिसे ओबामा प्रशासन ने शुरू किया था और ट्रम्प ने इसे रोक दिया था।
भारतीय आला अधिकारी ने कहा कि “भारत ने समस्त सैन्य सहायता पर रोक लगाने को तरजीह दी थी। याद रहे कि पाकिस्तान ने एफ-16 का इस्तेमाल 27 फ़रवरी को भारतीय सेना के ठिकानों पर प्रतिकारी हमले के लिए किया था। इससे एक दिन पूर्व ही भारतीय नौसेना ने बालाकोट में चरमपंथियों के ठिकानो को निशाना बनाया था।
पाकिस्तान मौजूदा समय में 75 एफ-16 विमानों का संचालन कर रहा है, जिन्हें वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और बाद में इन्हें एडवांस्ड रडार, टार्गेटिंग सिस्टम, फायर एंड फॉरगेट मिसाइल है। साल 1947 से भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान को अमेरिका ने 80 अरब डॉलर की रकम दी है।
भारत चिंतित है कि वांशिगटन अपनी गलतियों को दोहरा रहा है, इसमें अफगान मामले पर पाकिस्तान ली प्राथमिकता भी शामिल है। पाकिस्तान और उत्तर कोरिया एक दूसरे के साझेदार है, दोनों मुल्क चीन की छत्रछाया में परमाणु हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक में मदद करते हैं।
उत्तर कोरिया ने बीते हफ्ते एक मिसाइल का परिक्षण किया था और अमेरिका ने इसे प्रोजेक्टाइल करार दिया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “यह निम्न मारक क्षमता की मिसाइल थी और किम जोंग के सतह मेरा संबंध काफी अच्छा है और हम देखते हैं कि क्या होता है। वह निम्न मारक क्षमता की मिसाइल थी और कई लोगो के समक्ष वैसी मिसाइल है।”