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    अमेरिकी जहाज

    ताइवान के मुद्दे को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनातनी जारी है। रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका की सेना ने बुधवार को कहा कि “उन्होंने ताइवान के जलमार्ग पर एक नौसैन्य जहाज भेजा रहा। यह इलाका ताइवान को चीन से अलग करता है। वांशिगटन और बीजिंग के बीच तनावग्रस्त माहौल के मध्य अमेरिका का यह कदम चीन को भड़का सकता है।

    ताइवान के इलाके में नौचालन

    अमेरिका और चीन के बीच में ताइवान, व्यापार युद्ध, अमेरिकी प्रतिबन्ध और दक्षिणी चीनी सगार चीन का बढ़ता सैन्यकरण भी तनावग्रस्त मुद्दे है। चीन ने बुधवार को चेतावनी दी थी कि अगर ताइवान की आज़ादी की तरफ कोई भी कदम बढाया तो वह जंग के लिए तैयार है।

    उन्होंने अमेरिका पर वैश्विक स्थिरता को नजरंदाज़ करने का आरोप लगाया था और ताइवान को हथियार बेचने की मंज़ूरी की आलोचना की थी। इस युद्धपोत को ताइवान के जलमार्ग में 180 किलोमीटर तक भेजा गया था।

    अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के कमांडर क्ले दोस ने बयान में कहा कि “यह जहाज ताइवान के जल क्षेत्र से गुजरा था और इसने मुक्त आर खुले इंडो पैसिफिक की अमेरिकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया था। अमेरिका की नौसेना अंतरराष्ट्रीय कानून की अनुमति के तहत उड़ान, नौचालन और संचालन करना जारी रखेगी।”

    इस कदम से चीन के साथ तनाव बढ़ने के आसार बढ़ सकते हैं क्योंकि अमेरिकी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का प्रशासन ताइवान की मदद कर रहा है। अमेरिका के ताइवान के साथ कोई अधिकारिक सम्बन्ध नहीं है लेकिन एक कानून के तहत वह ताइवान को रक्षा के लिए हथियार मुहैया करने के लिए बाध्य है।

    जंग के लिए तत्पर ही चीन

    ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि “अमेरिका के जहाज ने नौचालन की आज़ादी के तहत ताइवान के जल मार्ग से उत्तर की तरफ नौचालन किया था। ताइवान ने इस अभियान पर निगरानी रखी थी।” राष्ट्रपति त्साई इंग वें से इस जलयात्रा के बाबत पूछने पर उन्होंने कहा कि “ताइवान का रक्षा मंत्रालय अपनी स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संप्रभुता के साथ कोई भी समझौता नहीं करेगा।”

    त्साई ने पत्रकारों से कहा कि “जलमार्ग को पार करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बरक़रार रखने की जिम्मेदारी सभी पक्षों की है। चीन की भी जिम्मेदारी है और हम अपनी उठाएंगे।” चीन समस्त ताइवान को अपनी देश का भूभाग मानता है और वहां एक चीन नीति को लागू करना चाहता है।

    रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने न्यूज़ ब्रीफिंग में कहा कि “सालो में पहली बार सेना की रणनीतिक चिंताओं को रेखांकित कर रहे हैं। चीन के साथ ताइवान के शांतिपूर्ण एकीकरण के लिए हम बेह्तारिक प्रयास करेंगे। हालाँकि ताइवान की आज़ादी की इच्छा एक आखिरी क्षोर हैं।”

    उन्होंने कहा कि “अगर यहाँ लोग है जो देश से ताइवान को अलग करने की कोशिश कर रहे हैं तो चीन की सेना अपने राष्ट्रीय हितो, एकता, क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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