जिला उपभोक्ता निवारण मंच ने भारतीय स्टेट बैंक के खिलाफ चार शिकायतें खारिज कर दी है। दरअसल यह शिकायतें व्यक्तिगत ऋण से संबंधित ब्याज दर को लेकर की गई थीं। फोरम की प्रेसिडेंट स्नेहा म्हात्रे और सदस्य माधुरी विश्वरूपे ने कहा कि ठाणे स्थित एसबीआई की मेन ब्रांच ने शर्तों के अनुसार ही निजी लोन पर ऋणदाता से ब्याज दरों की वसूली की है।
यह भी पढ़ें : एसबीआई ने बदले 1200 शाखाओं के नाम और आईएफएससी कोड, देखें बदलाव की पूरी सूची
आपको जानकारी के लिए बता दें कि प्रकाश सावंत, प्रकाश ओतवेन्कर, अनंत महादिक और विलास ने उपभोक्ता निवारण मंच में दर्ज कराई गई अपनी शिकायत में कहा था कि उन्होंने 2006 में क्रमश: 1.98 लाख, 72,000, 2.08 लाख और 1.20 लाख रुपए का व्यक्तिगत ऋण लिया और इसे 2011 में चुका भी दिया।
यह भी पढ़ें : 30 नवंबर से बल्क डिपॉजिट पर एसबीआई ने बढ़ाई ब्याज दरें, जानिए पूरी शर्तें
लेकिन बैंक ने उन्हें सूचित किए बिना उनके खाते से क्रमश: 15,000 रुपए, 14,000 रुपए, 20,000 रुपए और 14,000 रुपए की अतिरिक्त राशि डेबिट कर अकांउट को 2013 में बंद कर दिया। उपरोक्त चारो शिकायतकर्ताओं ने दावा किया है कि बैंक ने बिना सूचित किए ही उनके खाते से पैसा डेबिट कर लिया। इसके लिए इन शिकायतकर्ताओं ने ब्याज सहित मूलधन की मांग की।
यह भी पढ़ें : एसबीआई योनो ऐप के तहत डिजिटल सेवाएं प्रदान करेगा बैंक
शिकायतकर्ताओं का यह भी कहना था कि 2011 से 2013 के बीच बैंक ने इस कटौती का अभी तक कोई सटीक जवाब नहीं दिया है।
बाद में एसबीआई ने कहा कि चूंकि शिकायतकर्ताओं ने निजी लोन लेने के दौरान समझौते के तहत बदली ब्याज दरों के अनुसार निजी ऋण लिया था।
ऐसे में खाताधारकों से ब्याज दरों में हुए बदलाव के चलते उत्पन्न ब्याज की राशि की वसूली करना सही था। एसबीआई ने कहा ब्याज दर पहले 10.25 फीसदी थी, बाद में 10.75 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी हो गई। इसलिए बैंक ने शिकायतकर्ता से फ्लोटिंग रेट आफ इंटरेस्ट के तहत वसूली की। उपभोक्ता फोरम ने बैंक के तर्क को सही बताते हुए शिकायतों का निपटारा किया।