चीन के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को चेतावनी दी कि “अगर यहाँ ताइवान की आज़ादी की तरफ कोई भी कदम उठाया जायेगा तो हम जंग के लिए तैयार है।” उन्होंने अमेरिका पर वैश्विक स्थिरता को नजरंदाज और ताइवान को हथियार बेचने की आलोचना की है।
ताइवान की आज़ादी से जंग होगी
इस महीने पेंटागन ने कहा था कि “अमेरिका के राज्य विभाग ने ताइवान को हथियारों बेचने की मंज़ूरी दे दी है। इसमें टैंक आर स्ट्रिंगर मिसाइल भी शामिल है जिसकी अनुमानित कीमत 2.2 अरब डॉलर है।” चीन ने इसके जवाब में कहा कि “इस समझौते से जुड़े सभी अमेरिकी कंपनियों पर चीन प्रतिबन्ध लागू करेगा।”
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने न्यूज़ ब्रीफिंग में कहा कि “सालो में पहली बार सेना की रणनीतिक चिंताओं को रेखांकित कर रहे हैं। चीन के साथ ताइवान के शांतिपूर्ण एकीकरण के लिए हम बेह्तारिक प्रयास करेंगे। हालाँकि ताइवान की आज़ादी की इच्छा एक आखिरी क्षोर हैं।”
उन्होंने कहा कि “अगर यहाँ लोग है जो देश से ताइवान को अलग करने की कोशिश कर रहे हैं तो चीन की सेना अपने राष्ट्रीय हितो, एकता, क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है।” ताइवान का सबसे बड़ा हथियार विक्रेता अमेरिका है। बीजिंग ने कभी भी द्वीप को अपने नियंत्रण में लाने के लिए बल का इस्तेमाल करने से इंकार नहीं किया है।
अमेरिका के लोकतान्त्रिक ताइवान के साथ कोई अधिकारिक सम्बन्ध नहीं है लेकिन कानून के तहत द्वीप को आत्मरक्षा के लिए हथियार मुहैया करने के लिए बाध्य है।
चीन अपनी संप्रभुता की रक्षा करेगा
चीनी मंत्रालय ने कहा कि “अमेरिका ने रक्षा खर्च में सार्थक वृद्धि और वैश्विक रणनीतिक स्थिरता को नजरंदाज़ कर प्रमुख देशों के बीच तीव्र प्रतिद्वंदिता को भड़का दिया है।” रक्षा पर चीन ने खर्च में सीमित और नियमित वृद्धि को कायम रखा अहिया लेकिन यह अन्य प्रमुख देशों के मुकाबले में काफी कम है।
उन्होंने कहा कि “चीन के रक्षा खर्च और राष्ट्रीय समुप्रभुता, सुरक्षा और विकसित हितो की रक्षा की जरूरतों में अभी भी बेहद अंतर है।” कम्बोडिया के साथ गोपनीय संधि की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सेना को दक्षिणी पूर्वी राष्ट्रों की थाईलैंड की खाड़ी पर स्थित रीम नौसैन्य बेस पर विशेष अनुमति दी गयी है।
उन्होंने कहा कि “चीन और कम्बोडिया ने पूर्व में सैन्य ड्रिल, सैनिको के प्रशिक्षण और सैन्य तंत्र में सकारात्मक विनिमय और सहयोग किया है। इस तरीके के अभियान का मकसद किसी तीसरे पक्ष को निशाना बनाना नहीं है।”
ताइवान के मुख्यभूमि मामले की परिषद् ने कहा कि “बीजिंग का भड़काऊ रवैया, वाकई अंतरराष्ट्रीय कानून और संबंधों के शान्ति सिद्धांत का उल्लंघन कर रहा है और क्षेत्रीय सुरक्षा और व्यवस्थता को चुनौती दे रहा है। हम बीजिंग के विभागों से तर्कहीन, द्वेषपूर्ण कार्य जैसे ताकत का इस्तेमाल न करने का आग्रह करते हैं। सबंधों को सुधारना चाहिए और हांगकांग के मामले को बुद्धि से संभालना चाहिए ताकि वह एक जिम्मेदार क्षेत्रीय सदस्य बने।”