नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता पर काबिज हुए 50 दिन पूरे हो चुके हैं और पीएम ने विदेश नीति पर सरकार के विशेष ध्यान को स्पष्ट कर दिया था। विदेश नीति की अहमियत दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह में स्पष्ट देखी गयी थी। उन्होंने बिम्सटेक के नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था।
विदेश नीति की अहमियत
नरेंद्र मोदी ने पहले शपथ ग्रहण समारोह में आसियान के नेताओं को आमंत्रित किया था, जिसमे पाकिस्तान भी शामिल था। शपथ ग्रहण समारोह के बाद नरेंद्र मोदी ने मालदीव की यात्रा की थी, जो भारतीय नागरिकों के लिए पर्यटन गंतव्य है। मालदीव ने भी प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान इज्जुद्दीन से नवाजा था।
मालदीव के बाद पीएम मोदी ने श्रीलंका की यात्रा की थी। वह हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद सैंट एंथोनी चर्च का दौरा करने वाले पहले विदेशी नेता थे। श्रीलंका में ईस्टर बम धमाके में प्रधानमन्त्री ने महत्वपूर्ण साझेदार के साथ एकजुटता को व्यक्त किया था।
प्रधानमन्त्री ने कई राजनेताओं से यात्रा के दौरान मुलाकात की थी। उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना, प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और तमिल पार्टियों के अन्य नेताओं से मुलाकात की थी।
वैश्विक नेताओं से मुलाकात का दौर
किर्गिजस्तान में शांघाई सहयोग संघठन के दौरान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने सदस्य राष्ट्रों के नेताओं के साथ बातचीत की थी। प्रधानमन्त्री ने आतंकवाद के खिलाफ मज़बूत सहयोग और कार्रवाई की जरुरत की पैरवी की थी। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और किर्गिजस्तान के राष्ट्रपति के बीच एक द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई थी।
जापान में जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमन्त्री ने कई वैश्विक नेताओं के साथ व्यापक स्तर की बातचीत की थी। प्रधानमन्त्री की विदेश नीति पर पहल यही नहीं रूकती है। बल्कि भारत में भी उन्होंने अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पियो का स्वागत किया था और व्यापार, आतंकवाद और अन्य मामलो पर भारत के मत को साझा किया था।