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    डोनाल्ड ट्रम्प और हसन रूहानी

    ईरान ने अमेरिका की केन्द्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए कार्य करने वाले 17 जासूसों को हिरासत में लिया है और कुछ को मौत की सज़ा भी सुनाई है। ईरान की अर्धसरकारी न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेट टेलीविज़न ने ख़ुफ़िया मंत्रालय के हवाले से कहा कि उन्होंने सीआईए के जासूसी जाल को तोड़ दिया है और 17 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है।

    जासूसों की पहचान और मौत की सज़ा

    मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि “इनमे से गिरफ्तार किये गए कुछ को मौत की सजा दी गयी है। अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह ऐलान किया गया है। मई से दोनों देशों के बीच गहमागहमी काफी बढ़ गयी थी। बीते हफ्ते ईरान ने होर्मुज़ के बंदरगाह से एक ब्रितानी टैंकर को कब्जे में लिया था। इससे पूर्व ब्रितानी रॉयल सेना ने गिब्राल्टर के बंदरगाह से ईरानी टैंकर को जब्त किया था।

    मंत्रालय के बताया गया कि “यह पहचाने गए जासूस असंवेदनशील और महत्वपूर्ण निजी केन्द्रों में कार्यरत थे, यह अर्थव्यवस्था, परमाणु, ढांचागत, सैन्य और साइबर इलाको से जुड़े थे, जहां से वह महत्वपूर्ण सूचना को एकत्रित कर रहे थे।

    हालाँकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह गिरफ्तारी उस मामले से जुड़ी है जिसमे ईरान ने जून में कहा था कि “उन्होंने एक विशाल साइबर जासूसी के गिरोह का खुलासा किया है और यह कथित तौर पर सीआईए चला रहा था और इस कार्रवाई के परिणाम से विभिन्न देशो में अमेरिका के जासूसों को गिरफ्तार किया गया है।”

    अमेरिका ने हाल ही में दावा किया था कि उन्होंने ईरानी ड्रोन को होर्मुज़ के जलमार्ग पर मार गिराया था, जब वह सीमा को पार कर रहा था। ईरान ने इस दावे को ख़ारिज किया कि उनके किसी ड्रोन को मार गिराया गया है। पेंटागन ने शुक्रवार को सऊदी अरब में सैनिको और संसाधन की तैनाती की योजना को मंज़ूरी दी थी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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