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    संयुक्त राष्ट्र जापान प्रधानमंत्री

    उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों व मिसाइल कार्यक्रमों को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उत्तर कोरिया को परमाणु परीक्षणों का त्याग करना चाहिए। जाहिर है हाल ही में अमेरिकी विदेश सचिव रेक्स टिलर्सन ने कहा था कि उत्तर कोरिया से बात करने के लिए अमेरिका तैयार है।

    हालाँकि रेक्स टिलर्सन के इस बयान के अगले ही दिन वाइट हाउस की ओर से कहा गया कि उत्तर कोरिया के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का रवैया अभी भी पहले जैसा है।

    उत्तर कोरिया देश के बढ़ते मिसाइल और परमाणु खतरे के मद्देनजर उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध आवश्यक है। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने लेने के लिए राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस जापान में थे। यहाँ उन्होंने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे से इसी बारे में मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद गुटेरेस ने कहा कि उत्तर कोरिया को परमाणु मिसाइलों का परीक्षण छोड़कर शांति और स्थिरता स्थापित करनी चाहिए।

    जापान में गुटेरेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को उत्तर कोरिया द्वारा लागू किया ही जाना चाहिए। साथ में कोरियाई प्रायद्वीप में भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि परमाणु प्रतिबंधो की पालना पूरी तरह से हो। आगे कहा कि सुरक्षा परिषद की एकता काफी महत्वपूर्ण है।

    उत्तर कोरिया के साथ हो सार्थक वार्ता

    इसके अलावा गुटेरेस ने जोर दिया कि उत्तर कोरिया में शांति स्थापित करने के लिए राजनियक संबंधों पर जोर दिया जाना चाहिए। वहीं जापानी पीएम शिंजो आबे ने भी कहा कि वो उत्तर कोरिया के साथ संभावित सार्थक वार्ता पर पूरी तरह से सहमत है। इसके पीछे लक्ष्य सिर्फ देश को परमाणु परीक्षणों से मुक्त करना होगा।

    शिंजो आबे से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने भी कहा था कि अमेरिका बिना किसी शर्तों के उत्तर कोरिया के साथ वार्ता को तैयार है लेकिन बाद में व्हाइट हाउस ने इसका खंडन करते हुए कहा था कि ट्रम्प का रूख परिवर्तित नहीं हुआ है।

    गौरतलब है कि उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षणों को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने पहले ही उस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के आदेशों की भी अवहेलना करते हुए उत्तर कोरिया लगातार परमाणु परीक्षण कर रहा है। उत्तर कोरिया के साथ अमेरिका, चीन सहित कई देशों ने अपना व्यापार व अन्य संबंधों को तोड़ रखा है।