चीन ने गुरूवार को मांग की है कि अमेरिका को उनके आंतिक मामलो में दखल देना बंद करना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी उइगर मुस्लिमो और अन्य धार्मिक शोषण पीड़ितो से व्हाइट मुलाकात की थी। डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन, तुर्की, उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार के धार्मिक पीड़ितो से मुलाकात की थी।
राष्ट्रपति की उइगर मुस्लिमो से मुलाकात
राज्य विभाग ने इस शीर्षक पर इस सप्ताह कांफ्रेंस की मेजबानी की थी। इसमें अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेन्स और राज्य सचिव माइक पोम्पियो शामिल थे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि “मैं यह बताना चाहूँगा कि चीन में इस मौके पर धार्मिक अत्याचार मौजूद नहीं है।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि “चीनी जनता के पास धार्मिक आज़ादी है। अमेरिका ने फलुन गोंग से अलग लोगो के लिए सम्मेलन आयोजित किया था और जो चीन की धार्मिक नीति पर धब्बा लगा रहे हैं, उन्होंने इस धार्मिक बैठक में शिरकत की थी और उनकी अमेरिकी नेता के साथ मुलाकात तय की थी।”
ओवल दफ्तर की बैठक में 27 में से चार चीन से थे। व्हाइट हाउस ने कहा कि “यह उइगर मुस्लिम जेव्हेर इल्हाम, फलुंग गोंग व्यवसायी युहुआ जहाँग, तिब्बत के बौद्ध न्यीमा ल्हामो, एक ईसाई मंपिंग ओउयंग थे।”
इल्हाम ने ट्रम्प को बताया कि उनके पिता उन कई उइगर मुस्लिमों में शामिल थे जिन्हें बंदी शिविरों में रक्षा गया है और उन्होंने अपने पिता से साल 2017 से बातचीत नहीं की है।” गेंग ने कहा कि “यह चीन का आंतरिक मामला है। चीन इसके प्रति सख्त असंतुष्टता और विरोध जाहिर करता है। हम मांग करते हैं कि अमेरिका को चीन की धार्मिक नीतियों पर सही विचार करना चाहिए और धार्मिक मामले के जारी चीन ने दखल देना बंद करना चाहिए।”
उइगर मुस्लिमो के साथ अत्याचार के कारण ट्रम्प प्रशासन ने चीनी अधिकारीयों पर प्रतिबंधों को थोपा था, इसमें शिनजियांग में वामपंथी दल के प्रमुख चेन क़ुअन्गुओ भी धमिल थे लेकिन चीन के प्रतिकार की धमकी के बाद इसे हटा दिया गया था।
अमेरिया और चीन के समबन्ध व्यापार युद्ध के कारण काफी खराब है। अमेरिका ने आरोप लगाया कि चीन गैर निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं पर अमल कर रहा है।