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    सिमोन सिंह: यदि हम किसी किरदार को उम्र तक सीमित न करें तो हम ज्यादा प्रयोग कर सकते हैं

    नए टीवी शो “बहू बेगम” के आने से, प्रसिद्ध अभिनेत्री सिमोन सिंह अपने चालीसवें वर्ष में काफी व्यस्त हैं। अभिनेत्री का कहना है कि मनोरंजन उद्योग में युवाओं के लिए जुनून एक वैश्विक घटना है और स्क्रीन पर एक महिला की उम्र का प्रतिनिधित्व कैसे किया जाता है, इस धारणा में बदलाव एक प्रगतिशील संकेत है।

    यह देखना दिलचस्प है कि अपने तीसवे और चालीसवें वर्ष में कितनी अभिनेत्रियां फिल्म उद्योग में दिलचस्प भूमिकाएं निभा रही हैं। इनमें विद्या बालन और करीना कपूर खान के साथ-साथ टिस्का चोपड़ा, दिव्या दत्ता और नीना गुप्ता जैसी प्रसिद्ध अभिनेत्रियां शामिल हैं।

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    एक मॉडल के रूप में शुरुआत करने वाली सिमोन भी अपनी प्रतिभा का पता लगाने में पर्याप्त भूमिका निभा रही हैं। क्या उन्हें लगता है कि बॉलीवुड युवा जुनून के कारण ज्यादा उम्र वालो से ध्यान हटा रहा है?

    सिमोन ने कहा-“मुझे लगता है कि युवाओं के लिए जुनून एक वैश्विक घटना है और महिलाओं पर हमेशा एक दबाव होता है। मैं इसे केवल भारतीय मनोरंजन उद्योग में एक समस्या (प्रचलित) के रूप में नहीं देखती, यह हर जगह है। सकारात्मक बात यह है कि ये विश्व स्तर पर बदल रहा है और हम, भारतीय मनोरंजन उद्योग, इस बदलाव का एक हिस्सा है। अब, किरदारों को सभी आयु समूहों के लिए लिखा जाता है। ये किरदार अधिक बारीक होते हैं और ऐसी चीजों का हमेशा स्वागत है।”

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    वह मानती है कि उम्र और अनुभव के साथ, एक बड़े व्यक्ति की कहानी अधिक दिलचस्प हो जाती है, और इसलिए यह बताने लायक है। उनके मुताबिक, “इस तरह का बदलाव हमें फिल्मों, वेब सीरीज और टीवी शो में अधिक विविध भूमिकाएं करने की अनुमति देता है। यदि हम किसी किरदार को उम्र तक सीमित नहीं करते हैं, तो हम अधिक प्रयोग कर सकते हैं।”

    अभिनेत्री ने एक युवा लड़की के रूप में अपने करियर की सफलतापूर्वक शुरुआत की थी। उन्हें 1998 में शो ‘हीना’ से लोकप्रियता मिली। उन्हें फिल्म ‘सुर- द मेलोडी ऑफ़ लाइफ’, ‘बीइंग सायरस’ और ‘कल हो ना हो’ समेत अन्य फिल्मो के लिए जाना जाता है। वह न्यूयॉर्क शहर में अंतर्राष्ट्रीय एमी अवार्ड्स में जूरी के रूप में काम करने वाली पहली भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री थी।

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    वह बहुत जल्द टीवी शो “बहू बेगम” में नज़र आने वाली हैं जो एक मातृसत्तात्मक समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह अपनी स्क्रिप्ट कैसे चुनती हैं, तो उन्होंने कहा-“यह कभी विकसित हो रहा है। समय के साथ हम सब बदल जाते हैं। जब मैं एक स्क्रिप्ट पढ़ती हूँ, तो मेरी प्रतिक्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि यह किस तरह की कहानी है और यह भी कि मैं मन के किस सीमा में हूँ। इसलिए, यह बदलता रहता है।”

     

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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