विश्व की सरकारे साल 2003 के सतत विकास लक्ष्यों को पाने महत्वकांक्षा में कमी को प्रदर्शित कर रही है। विशेषकर असमानता को कम करने और जलवायु परिवर्तन को निजात पाने का कार्य किया है। यूएन ने मंगलवार को प्रकाशित रिपोर्ट में बताया था।
यूएन के उच्च स्तर के सतत विकास के राजनीतिक मंच की शुरुआत में जांच मौजूद थी। इसमें समस्त विश्व से 2000 भागीदार एकत्रित होंगे। वैश्विक संस्था के 193 सदस्य देश ने साल 2015 में तय किये थे। जलवायु परिवर्तन पर प्रभावी कार्रवाई के लिए समय बेहद कम रहा है।
यूएन के आर्थिक और समाजिक मामलो के प्रमुख लिऊ ज्हेंमिन ने कहा कि “इस रिपोर्ट में रेखांकित चुनौतियाँ वैश्विक समस्याएं हैं जिन्हें वैश्विक समाधान की जरुरत है। यह समस्याएं गैर सम्बंधित है, गरीबी, असमानता, जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक चुनौतियों के समाधान आपस में जुड़े में हुए हैं।
हालाँकि रिपोर्ट में कुछ प्रगति को दिखाया गया है, प्रतिरक्षा में विस्तार, बिजली तक पंहुच में सुधार और पांच वर्ष के बच्चो की मृत्यु दर में 49 प्रतिशत कमी को दिखाया गया है। यूएन के सेक्रेटरी एंटोनियो गुएट्रेस ने बयान में कहा कि “यह बिल्कुल स्पष्ट है कि अधिक गहरा, तीव्र और अधिक महत्त्वाकांक्षी प्रतिक्रिया की जरुरत है। साल 2030 तक के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सामाजिक और आर्थिक ट्रांसफॉर्मेशन की जरुरत है।”
गुएट्रेस ने कहा कि “चेतावनी दर से प्राकृतिक वातावरण बिगड़ रहा है, समुन्द्र स्तर बढ़ रहा है, महासागरो में अमलीकरण में वृद्धि हो रही है। बीत चार वर्ष रिकॉर्ड गर्म रहे हैं। 10 लाख पौधे और जानवर की प्रजातियाँ लुप्त होने की कगार पर है और जमीन पतन जारी है।”
लिऊ ने कहा कि “जलवायु परिवर्तन हमेशा हमारी साझा समृद्धता में सबसे बड़ा बाधक रहेगा, बुरे मौसम ने कृषि को प्रभावित किया है।” यूएन के दस्तावेजो के मुताबिक, 75 प्रतिशत बच्चे जो छोटे कद की समस्या से जूझ रहे हैं और शारीरिक विकास की समस्या से पीड़ित है, दक्षिण एशिया और सब सहारा अफ्रीका में रहते हैं।
इस रिपोर्ट में कहा कि “जलवायु परिवर्तन में कमी के लिए उठाये गए कदम असमानता और गरीबी को कम करने भी मदद कर सकते हैं। इस सम्बन्ध में लिऊ ने कहा कि “अक्षय की तरफ बढ़ने, गैर प्रदर्शन स्त्रोत की उर्जा इच्छा, वनों की कटाई को परिवर्तन की शुरुआत, 80 प्रतिशत लोग अधिक गरीब ग्रामीण इलाकों में रहते हैं।”