व्हाइट हाउस ने बुधवार को पुष्टि की कि पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री इमरान खान से 22 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मुलाकात करेंगे। इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच संबंधों को दोबारा पटरी पर लाना है और क्षेत्र में शान्ति और स्थिरता को कायम करना है।
हाल ही में राज्य विभाग ने कहा था कि “उन्हें इस आगामी यात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं है।” सबसे पहले यह रिपोर्ट पाकिस्तानी मीडिया में जारी की गयी थी। बहरहाल व्हाइट हाउस का यात्रा का ऐलान इंगित करता है कि आतंकवाद, अस्थिरता और हिंसा के मामले इस वार्ता में अहम होंगे। भारत और अफगानिस्तान में पाकिस्तान की अस्थिर भूमिका पर भी चर्चा की जाएगी।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने कहा कि “इस यात्रा का फोकस अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सहयोग को मज़बूत करना होगा ताकि क्षेत्र में शान्ति, स्थिरता और आर्थिक समृद्धता को लाया जा सके। राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमन्त्री खान कई मामलो पर चर्चा करेंगे। इस आतंक रोधी, रक्षा, उर्जा और व्यापार हैं। दक्षिण एशिया में शांतिपूर्ण हालातों को उत्पन्न करने का लक्ष्य और दोनों देशों के बीच एक मज़बूत साझेदारी को बनाना होगा।”
इमरान खान तीन दिन के लिए अमेरिका में ठहर सकते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता सँभालने के बाद पाकिस्तान के साथ अमेरिका के सम्बन्ध काफी बिगड़ गए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान पर अमेरिकी धन को लूटने और अमेरिका के लिए कुछ न करने का आरोप लगाया था।
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि “हमने पाकिस्तान को अरबो रूपए दिए लेकिन उसने कभी नहीं बताया कि ओसामा बिन लादेन वहां छिपा हुआ है। उन्होंने हमारे लिए कुछ भी नहीं किया है।” उन्होंने पाकिस्तान को दी जाने वाली 1.6 अताब डॉलर की सैन्य राशि को रोक दिया था।
इमरान कहें ने इसका प्रतिकार करते हुए कहा कि “अपनी असफलताओं की बलि का बकरा पाकिस्तान को बनाने से पहले अमेरिका को अपनी खामियों का गंभीरता से मूल्याङ्कन करना चाहिए। अफगानिस्तान में 140000 नाटो सैनिको, 25000 अफगान सैनिको और जंग में एक ट्रिलियन खर्च करने के बावजूद आज तालिबान सरजमीं पर पहले से अधिक मज़बूत है।”