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    संयुक्त राष्ट्र

    संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ो के मुताबिक, यमन में इस वर्ष हैजा के 460000 संदिग्ध मामले सामने आये हैं। इस बीमारी के कारण 705 लोगो ने अपनी जान गंवाई है। बीते वर्ष इस समयसीमा के दौरान वर्ष के मुकाबले सिर्फ 75 लोगो ने हैजा से अपनी जान गंवाई थी।

    यूएन के सेक्रेटरी जनरल के उप प्रवक्ता फरहान हक़ ने कहा कि “हाल ही में बाढ़ ने इस बीमारी को फैलने में मदद की है। कचरा प्रबंधन प्रणाली के बेकार रखरखाव और साफ़ पीने पानी की कमी ने हालत को माजिद बिगाड़ दिया है।” अधिकारी ने यह भी खुलासा किया कि इस साल करीब 200000 बच्चो का इस बीमारी से संक्रमित होने का संदेह है।

    हक़ ने रेखांकित किया कि इसके लिए फंड की जरुरत है। यमन में इस संक्रमण को मात देने के लिए समस्त देश में यूएन और उसके साझेदारो द्वारा 1200 हैजा के स्वास्थ्य केन्द्रों को चलाया जा रहा है।

    उन्होंने कहा कि “यमन के मानवीय प्रतिक्रिया योजना को 4.2 अरब डॉलर के फंड की जरुरत है ताकि दो करोड़ से अधिक लोगो तक मानवीय सहायता को पंहुचाया जा सके। आज तक सिर्फ 32 प्रतिशत जरूरतों की पूर्ती ही हो सकी है।”

    यमन में राजनीतिक और आर्थिक संकट बरकरार है और इस संघर्ष के कारण लाखो लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। हाल ही में यूनिटेड नेशन्स वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम ने बयान में कहा कि “यमन में मानवीय सहायता कर्मचारियों को जरुरतमंद लोगो तक पंहुच के लिए इंकार किया जा रहा है, सहायता पंहुचना बाधित हो गया है और स्थानीय विभाग भोजन वितरण में दखलंदाज़ी कर रहे हैं। इसे रोकना ही होगा।”

    यमन साल 2015 से गृह युद्ध में पिस रहा है। यमन के राष्ट्रपति अब्द राब्बुह मंसूर हादी की सरकार को सऊदी के गठबंधन का समर्थन है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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