अमेरिका के राज्य विभाग ने सोमवार को ताइवान को 2.2 अरब डॉलर के हथियारों को बेचने की मंज़ूरी पर दस्तखत कर दिए हैं। यह जानकारी डिफेन्स सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी ने साझा की है। अमेरिका में तायपेई इकोनोमिक एंड कल्चरल रिप्रेजेंटिव ऑफिस ने 250 एमएएनपीएडी स्टिंगर मिसाइल और अन्य सम्बंधित उपकरणों को खरीदने का आग्रह किया था।
हथियारों को बेचने की मंज़ूरी
ताइवान के इस आग्रह को अमेरिका के राज्य विभाग ने मंज़ूरी दे दी है। ताइवान को मिसाइल के लिए 22.4 करोड़ डॉलर अतिरिक्त देने होंगे। चीन और अमेरिका के बीच विवाद का उभरता हुआ मामला ताइवान भी है, तायपेई को अमेरिकी समर्थन से चीन सख्त खफा है।
बयान के मुताबिक, यह एम1ए2 टैंक की प्रस्तावित सेल मैन बैटल टैंक फ्लीट के आधुनिकरण में योगदान देगी। मौजूदा और भविष्य के खतरों ने निपटने की सक्षमता को विकसित करेगी और गृह रक्षा को मज़बूत करेगी। इस कार्यक्रम की कुल अनुमानित लागत 2 अरब डॉलर हैं।
चीन-ताइवान सम्बन्ध
चीन ताइवान को आने भूभाग का हिस्सा मानता है जबकि यह द्वीप साल 1949 के गृह युद्ध के दौरान चीन से अलग स्वतंत्र हो गया था। बीजिंग ने पहले भी अमेरिका के ताइवान को हथियार बेचने पर आपत्ति व्यक्त की थी और इसे चीन के आंतरिक मामले में दखलंदाज़ी करार दिया था।
ताइवान के सिर्फ 17 देशों के साथ औपचारिक सम्बन्ध है और यह सभी देश मध्य अमेरिका व पैसिफिक के छोटे देश है। वांशिगटन ने चीन को साल 1979 में मान्यता दी थी और उसके बाद से ताइवान से अमेरिका के कोई आधिकारिक सम्बन्ध नहीं है। हालाँकि ताइवान को सुरक्षा के लिए उपकरण मुहैया करना जरुरी है।
बीते महीने ताइवान और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने चार दशकों बाद सहयोग को गहरा करने के लिए पहली मुलाकात की थी। ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने भी घरेलू हथियार उद्योग को बढ़ावा दिया था और बीते हफ्ते एक शिपयार्ड का उद्धघाटन किया था, जो आठ डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को बनाने में सक्षम होगी।