मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा है कि “किसी अन्य देशों के संबंधों को गहरा करने के लिए भारत के साथ मज़बूत संबंधों को ताक पर नहीं रख सकते है।” लोगों से लोगों को जोड़ने पर जोर देते हुए नशीद ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध अतुल्य है और इसे किसी अन्य देश से आँका नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि “भारत हमारे सबसे उत्तरी द्वीपों से कुछ मील की दूरी पर है। हम वही किताबें पढ़ते हैं, वही फिल्में देखते हैं, वही खाना खाते हैं और वही संगीत सुनते हैं और हम वैसे ही लोग हैं। और भूगोल के कारण भी, हम भारत के ठीक बगल में हैं। इसलिए सभी को यह समझना चाहिए कि किसी और के साथ हमारे संबंध भारत के साथ हमारे संबंधों की कीमत पर नहीं हो सकते हैं।”
नशीद ने कहा कि “बीजिंग यह समझता है कि भारत के साथ हमारे संबंध अपरिवर्तित रहेंगे तो हिंद महासागर क्षेत्र में शायद कहीं अधिक स्थिरता होगी।” चीनी ऋण कूटनीति पर उन्होंने आरोप लगाया कि “योगदान के संदर्भ में, यह बहुत अधिक व्यावसायिक ऋण राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के जरिये दिया गया था, जिनकी कीमत बहुत अधिक थी।”
उन्होंने कहा कि “वे वहां आए, उन्होंने काम किया और हमें बिल भेज दिया। यह ऋण की ब्याज दरें नहीं बल्कि लागत ही है और इसके लिए हमें शुल्क दिया और अब हमें ब्याज दर और मूल राशि चुकानी होगी।”
उन्होंने आगे कहा कि “चीन को वापस भुगतान करने के लिए पर्याप्त बचत करने की आवश्यकता है। विभिन्न चीनी कंपनियों का 3.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का बकाया है।”
उन्होंने कहा कि 2020 तक मालदीव को चीन को भुगतान करने के लिए अपने बजट का 15 प्रतिशत अलग से सेट करना होगा। नशीद ने कहा कि “मैं देखना चाहता हूँ कि हमारा विकास इतनी तेजी से कैसे हो सकता है ताकि चीन को फिर से भुगतान करने के लिए हमारे पास बचत पर्याप्त हो।”