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    रोहिंग्या संयुक्त राष्ट्र म्यांमार व बांग्लादेश

    रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित घर वापसी को लेकर म्यांमारबांग्लादेश के बीच में समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। जिसके बाद कई जगहों से मांग उठने लगी कि अभी म्यांमार में स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई है।

    अब संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों की म्यांमार में घर वापसी को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। सबसे पहले म्यांमार के रखाइन प्रांत में शांति व स्थिरता बहाल की जानी चाहिए।

    उसके बाद ही अतंरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए बांग्लादेश से म्यांमार में रोहिंग्या की वापसी होनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता एड्रियन एडवर्ड्स ने जिनेवा ब्रीफिंग को बताया कि रखाइन प्रांत मे शांति व जगह वापस से पूरी तरह से ठीक नहीं होने पर रोहिंग्या को नहीं भेजा जाना चाहिए।

    संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ माइग्रेशन (आईओएम) के लियोनार्ड डोयले के मुताबिक 25 अगस्त को म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा की वजह से करीब 646000 से अधिक रोहिंग्या लोगों को घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था।

    म्यांमार में रहने के लिए हो पुख्ता इंतजाम

    संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने म्यांमार को चेतावनी देते हुए कहा कि रोहिंग्या को वहां पर स्थायी जगह व सुरक्षा मिलनी चाहिए। बिना इनकी उपलब्धता के रोहिंग्या को बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों से नहीं भेजा जाना चाहिए।

    गौरतलब है कि म्यांमार व बांग्लादेश के बीच समझौता होने के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.एच.महमूद अली ने बयान दिया था कि रोहिंग्या लोगों की म्यांमार में घर वापसी के समय उन्हें कुछ दिनों तक अस्थायी आवासों में रहना पड़ सकता है।

    साथ ही इनकी सुरक्षा को लेकर भी पुख्ता इंतजाम की प्रतिबद्धता नहीं जताई गई थी। अब संयुक्त राष्ट्र ने साफ तौर पर कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को भेजने में जल्दबाजी न करके तसल्ली व सावधानी से भेजा जाना चाहिए।

    म्यांमार को पहले रखाइन प्रांत में स्थिति को ठीक करना चाहिए व रोहिंग्या को जातीय हिंसा का सामना न करना पड़े, इसकी व्यवस्था भी करनी चाहिए। उसके बाद ही रोहिंग्या को भेजना चाहिए।