ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बुधवार को कहा कि “साल 2015 की परमाणु संधि के शेष साझेदारों द्वारा प्रतिबढ़ताओं पर कायम रहने की विफलता की प्रतिक्रिया में तेहरान ने संधि के आंशिक अनुपालन न करने का निर्णय लिया है। साझेदारों ने वादा किया था कि वह ईरान को अमेरिका के प्रतिबंधों से राहत मुहैया करेंगे।”
साझेदारों की विफलता का परिणाम है
रूहानी ने कहा कि “वह परमाणु संधि पर वापस आने के लिए इच्छुक है यदि संधि के शेष साझेदार ऐसा ही करे। अन्य पक्ष की क्रिया पर हम प्रतिक्रिया में चुप्पी साधे नहीं बैठ सकते हैं और इस कारण हमने यह चीजे की है लेकिन अन्य पक्षों को यह मालूम होना चाहिए कि जिस भी क्षण वह परमाणु संधि पर वापस लौट आएंगे, हम भी वापस आ जायेंगे। हम अभी भी संधि में बरक़रार है और हमारी सभी कार्रवाई संधि को बचाने के लिए हैं।”
रूहानी ने कहा कि “ईरान अमेरिका और यूरोप को सलाह देता है कि वापस बातचीत के टेबल पर आएं, सभी को परमाणु संधि पर आधारित कार्य ही करना होगा।” ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि “आंशिक प्रतिबद्धताओं को जारी रखने का मकसद परमाणु संधि को नजरअंदाज करना नहीं है बल्कि इसको बचाने की कोशिश है क्योंकि हमें यकीन है कि अगर हमने कुछ नहीं किया तो यह संधि खत्म हो जाएगी।”
सोमवार को ईरान की न्यूज़ एजेंसी ने सूत्र के हवाले से बताया कि “ईरान ने संवर्धन यूरेनियम की मात्रा को बढ़ा दिया है। जो साल 2015 की परमाणु संधि की तहत तय थी। देश ने मई में समझौते के कुछ प्रतिबद्धताओं का पालन करने से इंकार दिया था।”
अमेरिका ने एक वर्ष पूर्व ही परमाणु संधि से खुद को अलग कर लिया था। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बुधवार को कहा कि “ईरान 7 जुलाई के बाद जरुरत के मुताबिक यूरेनियम भंडार में इजाफा करेगा और उसकी जरुरत साल 2015 की ऐतिहासिक डील के 3.67 प्रतिशत से कई ज्यादा है।”