नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)| एक मिनी टैक्सी ड्राइवर और उसके बेटे पर हमला करने के चलते दिल्ली के 10 पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी है। दिल्ली उच्च न्यायालय में मंगलवार को कहा गया कि हमला करने और ‘अधिक धैर्य व पेशेवर’ रुख नहीं दिखाने के चलते इन 10 पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया है।
पुलिस ने कहा कि मुखर्जी नगर में भले ही सिख ड्राइवर और उनके बेटे का आचरण आक्रामक था। फिर भी पुलिसकर्मियों को अलग तरीके से व्यवहार करना चाहिए था।
घटना के बाद से लोगों में आक्रोश फैल गया था।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ के समक्ष दायर एक रिपोर्ट पर दिल्ली पुलिस ने यह बात कही।
अदालत 16 जून को सरबजीत सिंह और उनके नाबालिग बेटे पर ‘पुलिस की बर्बरता की सबसे भयानक घटना’ की सीबीआई जैसी निष्पक्ष एजेंसी द्वारा एक स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। ताकि कानून के अनुसार दोषियों पर मुकदमा दर्ज किया जा सके और पीड़ितों को मुआवजा दिया जा सके।
दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश वकील सत्यकाम ने पीठ को बताया कि इस घटना में शामिल 10 पुलिस कर्मियों को दिल्ली सशस्त्र पुलिस की पहली बटालियन में स्थानांतरित कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि बटालियन के एक वरिष्ठ अधिकारी उनके व्यवहार के खिलाफ संयुक्त विभागीय जांच का आदेश पारित करेंगे।
अदालत ने मामले को दो सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
याचिकाकर्ता सीमा सिंघल ने अपनी याचिका में कहा कि सरबजीत सिंह और उनके बेटे पर हमला ‘पूरी तरह से मनमाना, अन्यायपूर्ण, दमनकारी और उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन’ करने वाला था।
पुलिस ने तब कहा कि सरबजीत सिंह ने पुलिस पर तलवार से हमला किया और उसे दबोचना पड़ा। बेटा अपने पिता के बचाव में आया, इसलिए उसे भी पकड़ना पड़ा।