नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)| लोकसभा में भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन विधेयक), 2019 पारित होने की संभावना है, जिसका उद्देश्य देश में मेडिकल शिक्षा में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता लाना है।
एक बार मंजूरी मिलने के बाद, विधेयक दो वर्षों की अवधि के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद के अधिपत्य की अनुमति देगा, जिसके दौरान एक बोर्ड ऑफ गवर्नर चिकित्सा शिक्षा के लिए भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी नियामक संस्था को चलाएगा।
यह भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 में और संशोधन करने का प्रस्ताव रखता है। 16वीं लोकसभा में यह पारित नहीं हो पाया था।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे आज निचले सदन में विचार के लिए इसे फिर से प्रस्तुत करेंगे।
एक और विधेयक भी दंत चिकित्सक अधिनियम 1948 में संशोधन करने के लिए आज लोकसभा में पेश किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बारे में पहले कहा था कि विधेयक डेंटल काउंसिल के पुनर्गठन और केंद्र सरकार के सदस्यों और निर्वाचित सदस्यों के प्रतिनिधित्व को अब डेंटल काउंसिल में अनिवार्य नहीं बनाया जाने के मामले में मदद करेगा।