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    नरेंद्र मोदी

    नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लोगों से किताब पढ़ने को आदत बनाने का आग्रह किया और दोहराया कि गुलदस्ते की जगह उपहार में किताबें दी जानी चाहिए।

    अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में मोदी ने लोगों से गुलदस्ते की बजाय एक दूसरे को किताब देने का आग्रह किया।

    उन्होंने कहा, “अपनी नियमित दिनचर्या में से कुछ समय निकालें और इसे किताब पढ़ने में दें। आप वास्तव में इसका भरपूर आनंद लेंगे और आप जो भी किताब पढ़ें, उसके बारे में ‘नरेंद्रमोदी’ ऐप पर लिखें, जिससे कि ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं को इसके बारे में पता चल सके।”

    उन्होंने कहा, “आपने अक्सर मुझे ‘नो बुके, जस्ट ए बुक’ कहते हुए सुना होगा। मैंने सभी से स्वागत या बधाई समारोह में फूलों की जगह किताब को चुनने का आग्रह किया है। इसके बाद लोग कई जगहों पर किताबें दे रहे हैं।”

    लोकतंत्र हमारी संस्कृति, जल बचाएं

    लोकतंत्र को भारत की संस्कृति और विरासत का एक हिस्सा बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि 1975-77 में 19 महीने के आपातकाल के दौरान लोगों को लगा कि उनसे कुछ छीन लिया गया है। मोदी ने दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद अपने पहले ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में देश के कई हिस्सों में जल संकट के मद्देनजर पानी की हर बूंद बचाने और इसे स्वच्छ भारत मिशन की तरह एक जन आंदोलन बनाने का भी आग्रह किया।

    देश की लोकतांत्रिक भावना का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि जून 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू किए गए आपातकाल का विरोध न सिर्फ राजनीतिक दलों ने किया, बल्कि आम आदमी ने भी किया था।

    उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान विपक्षी दलों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नेताओं को जेल में डाल दिया गया था, और इससे लोगों में गुस्सा पैदा हो गया था।

    मोदी ने कहा, “लोकतंत्र के छिन जाने को लेकर लोगों में बेचैनी थी। हमें लोकतांत्रिक अधिकारों के महत्व का एहसास उस समय हुआ, जब इसे हमसे छीन लिया गया।”

    उन्होंने कहा, “भारत गर्व से कह सकता है कि नियम और कानून से परे लोकतंत्र हमारी विरासत और संस्कृति है। आम आदमी ने आपातकाल की पीड़ा को महसूस किया था।”

    हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि देश की चुनावी प्रक्रिया का पैमाना हर भारतीय को गौरवान्वित करता है।

    उन्होंने कहा, “भारत ने बस अभी सबसे बड़ा चुनाव पूरा किया है। चुनाव का पैमाना बहुत बड़ा था। यह हमारे लोकतंत्र में लोगों के विश्वास के बारे में बताता है।”

    लोकसभा चुनाव के कारण चार महीने के विराम के बाद मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम के साथ लौटे। यह आखिरी बार फरवरी में प्रसारित किया गया था।

    प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण की जरूरत पर भी जोर दिया।

    मोदी ने कहा, “जल संरक्षण का कोई एक तरीका नहीं है। अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं, लेकिन इसका मकसद पानी की हर बूंद को बचाना है।”

    उन्होंने लोगों से जल संरक्षण के बारे में विचार मांगे।

    मोदी ने कहा, “पानी बचाने के लिए देश भर में कोई एक फॉर्मूला नहीं हो सकता है। जल संरक्षण के पारंपरिक तरीकों का ज्ञान साझा करें। जल संरक्षण से संबंधित अपनी सामग्री अपलोड करने के लिए हैशटैगजनशक्ति4जलशक्ति का उपयोग करें।”

    उन्होंने जल संरक्षण पर जागरूकता लाने के लिए प्रख्यात लोगों सहित सभी से अपील की।

    मोदी ने कहा, “अगर आप जल संरक्षण पर काम करने वाले लोगों या गैर-सरकारी संगठनों के बारे में जानते हैं, तो उनके बारे में जानकारी साझा करें।”

    मोदी के अनुसार, एकजुट होने पर, “हम असंभव को संभव बना सकते हैं।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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