चीन ने गुरूवार को अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की आलोचना के बयान की निंदा की थी। हाल ही में अमेरिकी राज्य सचिव ने चीन की महत्वकांशी परियोजना बीआरआई की आलोचना की थी और इस पर चीन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
बीआरआई की परियोजना का अमेरिका निरंतर आलोचना करता रहा है। भारत ने 60 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगा। बीजिंग ने इस परियोजना के लिए कई मुल्कों को कर्ज दिया है।
बीजिंग छोटे देशों पर कर्ज का बोझ डाल रहा है और इस ऋण को अदा करने की उनकी क्षमता नहीं है और इसके कारण कर्ज का भार बढ़ता जा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बुधवार को संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग में पोम्पिओ ने कहा कि “इंडो पैसिफिक क्षेत्र में नींव से पहले अवसरों की भरमार है। जिन देशों ने बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर किये थे,वह अब जानते हैं कि बीजिंग की डील के बंधन से बाहर नहीं निकला का सकता है, यह एक बंधन है।”
उन्होंने कहा कि “अपनी सम्प्रभुता को त्यागे बगैर देशों को इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इकोनॉमी, डिजिटल कनेक्टिविटी और ऊर्जा सप्लाई को अपने लोगो को मुहैया करने की तरफ देखना होगा।”
पोम्पिओ की बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि “उन्होंने नहीं पता कि कि पोम्पिओ ने बीआरआई पर कोई बयान दिया है लेकिन वह बीआरआई के बारे बताते रहते हैं, जहां जाते हैं।”
उन्होंने कहा कि “अफ़सोस, लोग उन्हें सुनते हुए नहीं दिखते हैं और बीआरआई की आलोचना करते हैं।” माइक पोम्पिओ ने पूछा कि “बीआरआई त्यागने के साथ आएगी तो क्यों अधिक संख्या में देशों और अंतरराष्ट्रीय संघठनो ने पहले ही कई प्रोजेक्टों पर दस्तखत कर दिए हैं। क्यों बेहद सारे देश और अंतरराष्ट्रीय संघठनो ने इसका समर्थन कर रहा है और इसमें शामिल हो रहे हैं। बिना बीआरआई परियोजनाओं के कौन इस ढांचागत विकास और आर्थिक वृद्धि में कौन इनकी मदद करेगा? क्या अमेरिका खुद को पहले रखना चाहता है?
श्रीलंका के हबनटोटा बंदरगाह के चीन के सुपुर्द किये जाने के बाद बीआरआई की आलोचना मजीद तीव्र हो गयी है। कोलोंबो ने साल 2017 में 99 वर्ष के लिए बंदरगाह को बीजिंग के सुपुर्द कर दिया है। मालदीव पर भी चीन का तीन अरब डॉलर का कर्ज है।