उत्तर कोरिया (north korea) ने अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ को परमाणु वार्ता के लिए बाधा करार दिया था। कुछ दिनों पूर्व ही अमेरिका के राष्ट्रपति ने सीओल की यात्रा की थी जबकि उत्तर कोरिया के साथ वार्ता ठप पड़ी हुई है। डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन के बीच हनोई में फरवरी में दुसरे शिखर सम्मेलन के बाद से बातचीत की प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है।
इस समारोह में दोनों नेता प्रतिबंधों से रियायत के मतभेदों को सुलझाने में असफल साबित हुए थे। ट्रम्प ने सप्ताहांत में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के साथ बातचीत के लिए सीओल की यात्रा की थी।
उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को ट्रम्प के आला कूटनीतिज्ञ की आलोचना की थी। प्योंगयांग के खिलाफ शत्रुतापूर्व कृत्यों का सबसे बड़ा साजिशकर्ता पोम्पिओ को बताया था। अमेरिका के वरिष्ठ राजनयिक ने इस सप्ताह पत्रकारों से कहा था कि “उत्तर कोरिया के साथ कार्य स्टार की वार्ता का बहाल होने के बेहद सम्भावना है। प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया की 80 फीसदी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है।”
उन्होंने तत्काल खुद को सही किया और कहा कि यह आंकड़े ईरान के लिए थे। प्योंगयांग ने इस बयान को लापरवाह करार दिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने उत्तर कोरिया की न्यूज़ एजेंसी के हवाले से कहा कि “अगर अमेरिका के प्रतिबंधों ने हमारी 80 फीसदी अर्थव्यस्था को प्रभावित किया है, जैसा पोम्पिओ ने बताया है तो सवाल है कि कब अमेरिका 100 फीसदी को निशाना बनाएगा।”
अमेरिका के सांसदों के शत्रुतापूर्ण बयान और कार्रवाई उच्च स्तर के प्रयासों पर पानी फेर रहे हैं। इससे कोरियाई प्रायद्वीप में परमाणु निरस्त्रीकरण की तरफ बढ़ना मुश्किल हो जायेगा। रविवार को केसीएनए की रिपोर्टिंग के मुताबिक, किम को राष्ट्रपति ट्रम्प का सन्देश मिला था और उसमे उम्दा लेख था।
इससे कुछ दिन पूर्व डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि उन्हें उत्तर कोरिया के नेता का एक खूबसूरत ख़त मिला है। पोम्पिओ बीते वर्ष चार बार प्योंगयांग की यात्रा पर गए थे। हनोई सम्मेलन के बाद उत्तर कोरिया वांशिगटन पर बुरी आस्था से कार्य किअरने का आरोप लगाया है और अमेरिका के आला अधिकारीयों को हटाने की मांग की थी।
बीते माह उत्तर कोरिया ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की आलोचना की थी और उन्हें “वॉर मकैनिक” और “जंगबाज” कहकर सम्बोधित किया था।