उत्तर कोरिया (North Korea) के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि “अमेरिका का हाल ही में उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधों में इजाफा एक शत्रुतापूर्ण कार्य है और एक ऐतिहासिक सम्मेलन के लिए चुनौती है, जो बीते वर्ष दोनों देशों के बीच सिंगापुर में आयोजित हुआ था।”
व्हाइट हॉउस ने बीते हफ्ते उत्तर कोरिया के मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम पर एक बर्ष के लिए प्रतिबंधों को बढ़ाने के छह कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किये थे। उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय के अज्ञात अधिकारी ने माइक पोम्पिओ के बयान की आलोचना की जिसके मुताबिक,इन प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया की 80 फीसदी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
प्रवक्ता ने वांशिगटन की हाल में मानव तस्करी और धार्मिक आज़ादी पर जारी रिपोर्ट की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि “यह अमेरिका के सबसे शत्रुतापूर्ण कार्य की मेनिफेस्टो है। यह सब स्पष्ट करता है कि अमेरिका प्रतिबंधों के जरिये हमें घुटनो पर लाने के भयानक सपने देख रहा है। दबाव से कुछ तब्दील होने वाला नहीं हुआ लेकिन और स्पष्टवादी बने।”
अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच पहली मुलाकात बीते वर्ष जून में हुई थी। इसमें नए संबंधों को गति देने और कोरियाई प्रायद्वीप में परमाणु निरस्त्रीकरण की तरफ बढ़ने पर सहमति जाहिर की थी। वियतमान में आयोजित दूसरी बैठक में माजरा इसके उलट था।
इस सम्मेलन को बगैर किसी समझौते के खत्म कर दिया गया था। अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच प्रतिबंधों को हटाने को लेकर विवाद बना हुआ था। उत्तर कोरिया ने इसके बाद राज्य सचिव माइक पोम्पिओ को परमाणु वार्ता हटाने की मांग की थी।
पोम्पिओ ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में परमाणु वार्ता बहाल होने की उम्मीद जाहिर की थी क्योंकि दोनों नेताओं के बीच खतो का आदान-प्रदान हुआ था। उत्तर कोरिया के प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि परमाणु निरस्त्रीकरण को हासिल करना मुश्किल हो जायेगा जब्ब तक अमेरिकी की राजनीति पर सांसदों का प्रभुत्व रहेगा, जो उत्तर कोरिया के प्रति बैर रखते हैं।
उन्होंने कहा कि “हम प्रतिबंधों को हटाने के लिए प्यासे नहीं है। हमारा मुल्क उनमे से नहीं है जो अमेरिकी प्रतिबंधों के समक्ष समर्पण कर देगा,और न वो देश है जहां अमेरिका अपनी मर्जी से हमला कर दे।”