अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने शुक्रवार को पाकिस्तान से ईशनिंदा कानून पर शोषण को रोकने के लिए मजीद कदम उठाने का आग्रह किया है। आसिया बीबी की मौत की सज़ा और उसके बाद रिहाई ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया था।
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आज़ादी की वार्षिक रिपोर्ट में पोम्पिओ ने बताया कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामले में 40 अन्य भी उम्रकैद या मौत की सज़ा काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि “हम उनकी रिहाई की मांग करना जारी रखेंगे और सरकार से एक राजदूत की नियुक्त की मांग करेंगे जो धार्मिक आज़ादी की चिंताओं को बताएगा।”
मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में ईशनिंदा एक उत्तेजक मामला है। इस्लाम को अपमानित करने के आरोपियों को बख्शा नहीं जाता है। कार्यकर्ताओं के मुताबिक कई मामले निजी असहमति पर आधारित होते हैं। आसिया बीबी एक ईसाई महिला है ज्जिस्ने साल 2010 में ईशनिंदा के मामले पर मौत की सज़ा सुनाई गयी थी।
आवाम के आक्रोश के बावजूद बीबी को बीते वर्ष रिहा करने के आदेश दिए थे और मई में वह कनाडा जाने में सफल रही थी। पोम्पिओ ने ईरान और चीन की भी आलोचना की थी। बीजिंग ने 10 लाख उइगर मुस्लिमों को कैद शिविरों में रखा है और तिब्बत बौद्धों, ईसाईयों और फालुन्गोंग धार्मिन आंदोलन पर गंभीर कार्रवाई की थी।
अलबत्ता, डोनाल्ड ट्रम्प का प्रशासन अपने सहयोगी सऊदी अरब की आलोचना में कतराता है। रिपोर्ट के मुताबिक, सल्तनत में सुन्नी इस्लाम के धार्मिक वहाबी स्कूलों को बनाया गया है और इसके लिए व्यापक स्तर पर शोषण किया जाता है। गैर सरकारी समूहों के हवाले से रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब ने साल 2011 से 1000 से अधिक अल्पसंख्यक शिया को कैद में रखा है।
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के राजूदत सैम ब्रोनबैंक को क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की बढ़ती शोहरत से मायूसी ही हाथ लगी है। उन्हने कहा कि “मेरे ख्याल से वहां नेतृत्व में परिवर्तन की काफी उम्मीदे हैं। हमें सकारात्मक दिशा में कार्रवाई को देखने की जरुरत है।”
अप्रैल में जारी साल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब ने 37 लोगो को सजा ए मौत दी थी और इसमें अधिकतर शिया मुस्लिम थे। दक्षिणपंथी समुदाय के मुताबिक, सऊदी के शिया मुस्लिमों के सर को धड़ से अलग करने के बाद सूली पर चढ़ाया गया था। यूएन के अधिकारों के प्रमुख ने कहा कि अपराधियों में कम से कम तीन बच्चे थे।