पाकिस्तान की अदालत ने गुरूवार को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने अदालत में भ्रष्टाचार मामले में उनकी सजा रद्द करने और स्वास्थ्य कारणों पर जमानत देने की याचिका दायर की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है। शरीफ को 24 दिसंबर 2017 को पनामा पेपर के मामले के बाद शरीफ के खिलाफ शीर्ष अदालत ने अल अज़ीज़िया मामले में दोषी ठहराया गया था।
इस्लामाबाद उच्च अदालत की दो जजों की पीठ ने 69 वर्षीय पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज़ के प्रमुख की जमानत याचिका को ख़ारिज कर दिया गया था। मामले की पिछली सुनवाई में उनके वकील ख्वाजा हारिस ने अदालत में कहा था कि “उनके मुवक्किल कई खतरनाक बिमारियों से जूझ रहे हैं, इसमें डायबिटीज, ब्लडप्रेसर और हृदय से सम्बंधित समस्याएं हैं जिनका इलाज पाकिस्तान में मुमकिन नहीं है।”
वकील ने दलील दी कि शरीफ की जिंदगी खतरे में हैं इसलिए उन्हें जमानत दी जाए। नेशनल अकॉउंटबिलिटी ब्यूरो के अभियोक्ता जहांजेब भरवाना ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि “पूर्व प्रधानमंत्री को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया की जा है और अदालत से जमानत याचिका ख़ारिज करने की मांग की थी।”
कोट लखपत जेल के सुपरिन्टेन्डेन्ट और एक स्वास्थ्य अधिकारी ने इस हफ्ते की शुरुआत में अदालत को सूचित किया कि “मौजूदा इलाज से शरीफ की स्वास्थ्य स्थिति बेहतर है।” शरीफ और उनके परिवार ने किसी भी गलत कार्य करने से इंकार के आरोपों को नकारा है और इसे राजनीति से प्रेरित करार दिया है।
26 मार्च को शीर्ष अदालत ने शरीफ को अल अज़ीज़िए मामले में साथ वर्ष की कारावास की सज़ा सुनाई थी और उनके स्वास्थ्य हालातो के आधार पर छह हफ़्तों की जमानत दी थी लेकिन देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी थी। मई में शीर्ष अदालत ने स्वास्थ्य कारणों पर जमानत समीक्षा याचिका को ख़ारिज कर दिया था और इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति से इंकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने शरीफ को आदेश दिया कि अंतरिम जमानत की समयसीमा से पूर्व अदालत में समर्पण कर दे। शरीफ के काउंसल ने इस्लामाबाद उच्च अदालत की तरफ रुख किया और कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक उनकी हालत बेहद खराब है और उन्हें स्वस्थ होने के लिए तनाव मुक्त माहौल की जरुरत है।