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    कश्मीर विवाद संयुक्त राष्ट्र भारत

    कश्मीर मुद्दा भारत व पाकिस्तान के बीच तनाव का मुख्य कारण है। दोनों देशों के बीच जारी लड़ाई की मुख्य वजह कश्मीर को अपना-अपना हिस्सा बताना है। हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व राजनियक ने कश्मीर विवाद को लेकर बयान दिया है।

    संयुक्त राष्ट्र में पूर्व पाकिस्तानी राजदूत मसूद खान जो कि वर्तमान में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के अध्यक्ष है। अटलांटिक काउंसिल, एक अमेरिकी थिंक टैंक में एक सवाल के जवाब में मसूद खान ने सोमवार को कहा कि कश्मीर पर भारत का प्रभाव काफी ज्यादा है। इसी वजह से अन्य देश कश्मीर के बारे में बात करने को राजी ही नहीं है।

    दरअसल मसूद खान का बयान का असली मकसद कश्मीर की वर्तमान स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अवगत कराने का प्रयास है।

    पूर्व पाकिस्तानी राजनियक ने कहा है कि भारत आज के समय में आर्थिक शक्ति से परिपूर्ण देश है साथ ही भारत का प्रभाव भी काफी अधिक है।

    इस वजह से ही कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने के लिए कोई भी देश तैयार नहीं है। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र भी कश्मीर को लेकर कुछ नहीं कर रहा है।

    मसूद खान के मुताबिक दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के बीच वार्ता पर भारत का वीटो है। मसूद का कहना है कि भारत का प्रभाव इतना अधिक हो चुका है कि कश्मीर को लेकर वाशिंगटन डीसी, ब्रुसेल्स, लंदन में या अन्य विश्व में कहीं भी बात नहीं की जाती है।

    क्योंकि भारत व अन्य देशों के साथ आर्थिक संबंध काफी मजबूत है। इसलिए ही कोई भी देश भारत के खिलाफ कश्मीर विवाद को लेकर कुछ बोलना ही नहीं चाहता है।

    कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र नहीं है सक्रिय

    पूर्व पाकिस्तानी राजनियक मसूद खान ने संयुक्त राष्ट्र पर आरोप मढ़ते हुए कहा है कि वह भारत की वजह से अपने प्रस्ताव पर ही कार्रवाई नहीं कर रहा है।

    वास्तविक राजनीति की बदौलत कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। वो कश्मीर मुद्दे को लेकर चुप है। मसूद खान ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र को इस मुद्दे पर आगे आना चाहिए।

    पीओके में नहीं चल रहा है आतंकवादी शिविर

    पूर्व पाकिस्तानी राजनियक मसूद खान ने दावा किया है कि पीओके में कोई भी आतंकवादी शिविर नहीं चल रहा है। ये बातें पूरी तरह से झूठी है।

    मसूद के मुताबिक यह वास्तव में कश्मीरी लोगों के खिलाफ एक गलत प्रचार है जो उन्हें बुरा बनाने के लिए किया जा रहा है। कश्मीर में न तो कोई आतंकवाद है और न ही सीमा पार यहां से कोई ऐसी गतिविधियां की जाती है।