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    राहुल गांधी

    कांग्रेस पार्टी के लिए आज का दिन बहुत ही विशेष दिन है। आज वो दिन है जिसका कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पिछले काफी समय से इंतज़ार था। आज के दिन राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए नामंकन करेंगे। इस समय राहुल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आशीर्वाद लेने राजघाट के लिए निकल चुके है।

    यह क्षण कांग्रेस पार्टी के लिए अहम है कांग्रेस ने इस लम्हे को ट्विटर पर नया युग बताते हुए लिखा है कि “कांग्रेस के वीपी राहुल गांधी ने एआईसीसी में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अपने नामांकन पत्र तैयार किए, यह एक नए युग की शुरुआत है”

    कांग्रेस के तमाम राजनेताओं ने भी राहुल को बधाई देना शुरू कर दिया है। राहुल को इस समय देश और विदेश से बधाई सन्देश मिल रहे है।

    खबर है कि नामंकन के वक्त कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के कई बड़े नेता मौजूद रहेंगे। आज का दिन इसलिए भी पार्टी के लिए कुछ नया है क्यूंकि कांग्रेस को नया अध्य्क्ष पुरे दो दशक बाद मिल रहा है। गौरतलब है कि सोनिया गांधी 1998 से पार्टी की कमान संभाल रही हैं।

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    राहुल की तरह अध्य्क्ष पद के लिए उनका नामंकन भी वैसे कम विवादित नहीं है। सबसे बड़ी बात है इस विवाद को खुद कांग्रेस पार्टी के अंदर से ही हवा मिली है। पार्टी के राजनेता और कार्यकर्ता ही राहुल के खिलाफ है। बगावत करने वालों में सबसे पहला नाम आता है राहुल गांधी के रिश्तेदार शहजाद पूनावाला का।

    उल्लेखनीय है कि शहजाद ने इस पुरे प्रक्रिया को इलेक्शन नहीं बल्कि सिलेक्शन बताया था। शहजाद ने कहा था कि “राहुल का अध्य्क्ष पद के लिए चुनाव हो ही नहीं रहा है बल्कि उनका अध्य्क्ष बनना तो पहले से ही तय था”, उनके इस बयान के बाद पार्टी में काफी खलबली मच गयी थी। खुद सहजाद के भाई ने उनसे सभी राजनीतिक रिश्ते तोड़ने का ऐलान कर दिया था।

    दुश्मन के घर में आग लगी हो तो उसमे घी डालना चाहिए यह बात बीजेपी जानती है। यहीं कारण है कि पलक झपकते ही मोदी ने सहजाद का सहारा लेते हुए कांग्रेस पर गुजरात की एक रैली में वार किया। मोदी ने कहा कि सहजाद ने बड़ी ही बहादुरी का काम किया है। राहुल के नामंकन पर सवाल उठना लाजमी है।

    जैसा कि पहले से उम्मीद थी इस मुद्दे पर बीजेपी जरूर कांग्रेस को निशाने पर लेगी हुआ भी ठीक वैसा ही, कांग्रेस पर निशाना लगाते हुए बीजेपी ने कहा है कि “जहांगीर की जगह जब शाहजहां आए, क्या तब कोई चुनाव हुआ था? जब शाहजहां की जगह औरंगज़ेब आए, तब कोई election हुआ था? यह तो पहले से ही पता था कि जो बादशाह है, उसकी औलाद को ही सत्ता मिलेगी”

    देश के राष्ट्रपति पद पर दलित कार्ड खेलने वाली कांग्रेस क्यों अध्यक्ष पद पर किसी दलित को नहीं बैठा रही है? महिलाओं की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी क्यों अध्य्क्ष पद के लिए किसी महिला को नहीं चुन रही है? मुस्लिमों और पिछड़े वर्ग के सहारे सत्ता में आने का ख्वाब देखने वाली पार्टी आखिर क्यों नहीं पार्टी के अध्य्क्ष पद पर इन्हे बैठा रही है?

    सवाल यह भी है कि राहुल में ऐसे कौन से गुण है जो शेष कांग्रेस के किसी राजनेताओं में नहीं है? उम्र और तजुर्बे के मामले में कांग्रेस के पास एक से बढ़कर एक महारथी है, फिर क्यों राहुल को ही प्राथमिकता मिल रही है?