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    सलिल पारेख की नियुक्ति

    फ्रांसीसी कंपनी कैपजेमिनी के साथ एक दशक से ज्यादा समय काम करने के बाद सलिल पारेख एक ऐसी कंपनी के सीईओ बने हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि के बावजूद भी दोगुनी रेवेन्यू ग्रोथ और दोगुना मुनाफा हासिल कर रही है। ऐसे में पारेख को कंपनी की लय बरकरार रखनी होगी।

    इनफ़ोसिस कंपनी पर फाउंडर्स मेंबर्स की पकड़ ज्यादा है, क्योंकि अगस्त में कपनी के सह संस्थापक एनआर नारायण मर्ति के साथ हुए विवाद के बाद पूर्व सीईओ विशाल सिक्का को इस्तीफा देना पड़ गया था। ऐसे में कंपनी फाउंडर्स की आकांक्षा के अनुरूप काम करना भी पारेख के सामने एक नई चुनौती होगी।

    यही नहीं इन्फोसिस ने वित्तीय मार्च 2018 के अंत तक 6.5 फीसदी राजस्व वृद्धि हासिल करने का लक्ष्य बनाया है। इस प्रकार कंपनी के लक्ष्य को ​हासिल करके पारेख की अपनी योग्यता साबित करनी होगी। पारेख जनवरी 2018 में पेरिस मुख्यालय स्थित कंपनी कैपजीमिनी से बेंगलुरू स्थित इन्फोसिस कार्यालय में बतौर मुख्य कार्यकारी अधिकारी पदस्थ होंगे।

    सलिल पारेख को कंपनी के ऐसे फाउंडर्स मेंबर्स जिनकी कंपनी में 12 फीसदी की हिस्सेदारी है, उनकी बातों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित विकास दर का लक्ष्य हासिल करना होगा। शनिवार को बतौर सीईओ पारेख की नियुक्ति की घोषणा के बाद ब्रोकरेज रिलायंस सिक्योरिटीज के हरित शाह ने अपने ग्राहकों को लिखे एक नोट में कहा ​है कि, ग्राहकों और कर्मचारियों को आश्वस्त करते हुए कंपनी को आगे बढ़ाना पारेख की प्राथमिकता होनी चाहिए।

    आप को जानकारी के लिए बता दें कि कंपनी के संस्थापकों में शामिल नारायण मूर्ति के साथ विशाल सिक्का के बीच इन्फोसिस की विभिन्न योजनाओं को लेकर असह​मति ही सिक्का के इस्तीफे का कारण बना। हांलाकि विशाल सिक्का का नाम वैश्विक सॉफ्टवेयर उद्योग में बतौर प्रर्वतक के रूप शामिल है। सिक्का 2014 में इन्फोसिस कंपनी के सीईओ नियुक्त किए गए थे।

    विशाल सिक्का जर्मन सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी एसएपी एसई से जुड़े थे। इस प्रकार वे इंफोसिस के सीईओ बनने वाले पहले बाहरी व्यक्ति थे। अगस्त महीने में सिक्का और चेयरमैन आर शेशसायी के कपंनी से बाहर होते ही इन्फोसिस के संस्थापक नंदन नीलेकणि ने बतौर चेयरमैन कंपनी का पदभार संभाला। विशाल सिक्का और नारायण मूर्ति के बीच हुए विवाद के दौरान नंदन नीलेकणि ​ने मूक दर्शक की भूमिका निभाई थी।

    बताया जा रहा है कि सिक्का और नारायण मूर्ति के बीच हुए विवाद का फायदा पारेख के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। बावजूद इसके पारेख को नारायण मूर्ति को अपने पक्ष में लाने के लिए कुछ जरूरी काम करना पड़ सकता है। हांलाकि नंदन नीलेकणि की ओर से पोरख को समर्थन दिए जाने के बाद से मूर्ति ने भी अपनी सहमति जताई है।

    शनिवार को दिए एक वक्तव्य में मूर्ति ने कहा कि, मुझे खुशी है कि इंफोसिस ने सलिल पारेख को मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया है, उन्हें मेरी शुभकामनाएं। भारत की दूसरी नंबर की सबसे बड़ी आईटी कंपनी के सीईओ बने सलिल पारेख के पास वैश्विक बाजारों में काम करने का एक लंबा अनुभव है।

    ऐसे में कंपनी अपनी विकास दर की गति को बरकरार रखने में सफल हो सकती है। फ्रांसिसी कंपनी कैपजीमिनी के सहकर्मियों का कहना है कि पारेख परिश्रमी लोगों को ज्यादा प्रोत्साहन देते हैं, अपने साथियों से कंपनी की परियोजनाओं की जानकारी साझा करने में विश्वास रखते हैं। पारेख एक ऐसे सीईओ हैं, जो कम समय में भी अपनी परियोजनाओं को बेहतर तरीके से पूरा करना जानते हैं।