नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)| दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता संभालने के कुछ दिनों बाद, मोदी सरकार ने ‘मदरसा’ शिक्षा को आधुनिक बनाने और इसे औपचारिक शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंगलवार को यहां आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में कहा, “अगले महीने मुसलमानों के ऐसे अनौपचारिक संस्थानों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के साथ यह कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि सरकार इस योजना पर भी काम कर रही है कि मदरसों से बाहर निकलने वाले छात्र जामिया मिलिया इस्लामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों से औपचारिक शिक्षा प्राप्त करें।
नकवी ने जोर देकर कहा, “हम मदरसों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़ना चाहते हैं।”
मदरसा एक ऐसा अनौपचारिक शिक्षा संस्थान होता है, जहां प्राय: इस्लामिक अध्ययन पर जोर दिया जाता है। कुछ अनुमान के अनुसार, देशभर में ऐसे लाखों संस्थान फैले हुए हैं।
मदरसा शिक्षा का आधुनिकीकरण करने की योजना को विस्तार से बताते हुए नकवी ने कहा कि पहला कदम यह है कि मदरसों के शिक्षकों को औपचारिक शिक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मंत्री ने कहा, “मदरसों के शिक्षकों को औपचारिक शिक्षा में प्रशिक्षण दिया जाएगा। हम मदरसों को कहेंगे कि वे खुद इसके लिए शिक्षकों का चयन करें। हम उन्हें प्रशिक्षित करेंगे, ताकि वे मदरसों में औपचारिक शिक्षा मुहैया करा सके।”
उन्होंने कहा, “कार्यक्रम अगले महीने से शुरू होगा। पहले चरण में, हम पूरे देश से कम से कम 200 शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे।”
यह एक महीने का पाठ्यक्रम होगा।
इससे जुड़ी अन्य पहलों के बारे में मंत्री ने कहा कि सरकार मदरसों से आने वाले छात्रों के एक ‘ब्रिज कोर्स’ में मदद करेगी, ताकि वे औपचारिक डिग्री प्राप्त कर सकें।
उन्होंने कहा, “हमने जामिया मिलिया से बात की है। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से बात कर रहा हूं। हम ऐसे कई संस्थानों से बात कर रहे हैं।”
ब्रिज कोर्स आठवीं कक्षा और इसके बाद उपलब्ध होंगे, ताकि मदरसों से आने वाले बच्चे कम से कम औपचारिक माध्यमिक विद्यालय या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की डिग्री प्राप्त कर सकें।
उन्होंने कहा कि मदरसों में भी सरकार अंग्रेजी, हिंदी, विज्ञान, गणित, कंप्यूटर साइंस समेत अन्य विषयों के रूप में औपचारिक शिक्षा की शुरुआत करना चाहती है।
ऐसी पहलों की जरूरत पर उन्होंने कहा, “कई सारे मदरसे हैं। पहली चीज यह है कि ये मदरसे अस्तित्व में क्यों आए? इसलिए, क्योंकि छोटे गांवों में स्कूल और कॉलेज नहीं हैं। औपचारिक शिक्षा उपलब्ध नहीं है।”