Sat. Nov 23rd, 2024
    modi nitish kumar

    पटना, 11 जून (आईएएनएस)| बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित जद (यू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भले ही संबंधों में किसी प्रकार की कटुता से इंकार कर रहे हों, परंतु जद (यू) के बिहार के अलावा अन्य राज्यों में अपने दम पर चुनाव लड़ने और भाजपा के कई मुद्दों पर अलग राय रखने के बाद इन दो दलों के संबंधों में खटास के कयास लगने लगे हैं।

    वैसे, नीतीश किसी भी गठबंधन में रहे हों, परंतु उनकी राजनीति अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करने की रही है। नीतीश की पार्टी जद (यू) जब राजद के साथ महागठबंधन भी थी, तब भी नीतीश ने केन्द्र सरकार की नोटबंदी की तारीफ की थी। तब भी महागठबंधन के साथ नीतीश के रिश्ते को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे, और आज फिर भाजपा के साथ नीतीश के रिश्तों को लेकर कयासों का दौर गरम है।

    बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने तो बजाप्ता नीतीश को महागठबंधन में आने का न्योता तक दे दिया है।

    राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी कहते हैं, “केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जम्मू एवं कश्मीर में धारा-370 और 35-ए हटाने, राम मंदिर बनाने और सामान आचार संहिता लागू करने के मुद्दे पर नीतीश कुमार क्या करेंगे?”

    उन्होंने आगे कहा, “नीतीश कुमार को भगवान भाजपा के खिलाफ चेहरा बनने का एक और मौका दे रहा है और जब नीतीश कुमार इन मुद्दों पर राजग छोड़ेंगे, तो राजद उनके साथ मजबूती से खड़ा होगा।”

    इसके अलावा बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी कहा है कि अगर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में आने की सोचते हैं, तो इससे उनको कोई ऐतराज नहीं होगा।

    उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार की पार्टी राजग के साथ जरूर है, परंतु उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से इंकार कर दिया है। यही नहीं, जद (यू) महासचिव के. सी. त्यागी ने भी दो दिन पूर्व स्पष्ट कर दिया है कि जद (यू) चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगा।

    इस घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार की प्रशंसा करते हुए इस निर्णय के लिए धन्यवाद भी दिया है।

    हालांकि जद (यू) के प्रवक्ता अजय आलोक ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुशफहमी नहीं पालनी चाहिए। उन्होंने कहा, “वह धन्यवाद देती हैं, ठीक है, परंतु जद (यू) राजग में है और आगे भी रहेगा। इसमें किसी को संशय नहीं रहना चाहिए।”

    आलोक ने कहा, “धन्यवाद से गलतियां कम नहीं हो जातीं। वहां से बिहारियों को भगाया जा रहा है। लगातार हत्याओं का दौर भी चल रहा है।”

    राजद उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी भाजपा को हराने के लिए सभी छोटे और क्षेत्रीय दलों को एकजुट होने को कहा है। उन्होंने नीतीश कुमार के जद (यू) को भी महागठबंधन में आने का न्योता दिया है।

    बिहार की राजनीति के जानकार सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि इसमें कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार जब इससे पहले भी राजग में थे, तब भी अन्य राज्यों में उन्होंने अकेले चुनाव लड़ा था, और अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में भी भी जद (यू) जम्मू एवं कश्मीर में धारा 370 का विरोध करता रहा है।”

    किशोर कहते हैं, “सभी पार्टियों के अपने सिद्धांत हैं। जद (यू) और भाजपा के सिद्धांत भी अलग-अलग हैं। नीतीश अपनी पार्टी के सिद्धांतों में रहकर राजग में हैं।” उन्होंने संभावना जताई, “भाजपा भी यही चाहती होगी कि नीतीश राजग में रहकर धारा 370 का विरोध करें, ताकि जद (यू) के बहाने राजग को भी अल्पसंख्यकों का वोट मिले।”

    नीतीश कुमार ने भी सोमवार को राजग में किसी प्रकार की कटुता से इंकार करते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में सांकेतिक रूप से शामिल नहीं होने का निर्णय जद (यू) का है। उन्होंने कहा, “भाजपा के साथ आपसी संबंधों में कोई कटुता नहीं है। जैसे पहले सौहाद्र्र का संबंध था, वैसे आज भी है।”

    बहरहाल, नीतीश के जद (यू) को लेकर कयासों का दौर जारी है और राजग में रहकर जद (यू) के भाजपा विरोध पर लोग अब कहने लगे हैं कि “यह रिश्ता क्या कहलाता है”।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *