फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए 27 योजनाओं पर कार्य करने के आदेश दिए थे लेकिन पडोसी मुल्क सिर्फ दो ही योजनाओं को सफलतापूर्वक कर सका है। पाकिस्तान आतंकी वित्तपोषण को रोकने और धनाशोधन में नाकाम साबित हुआ है।
एफएटीएफ का आयोजन 16-21 जून तक फ्लोरिडा में होगा अउ कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान इस वर्ष भी एफएटीएफ की ग्रे फेरहिस्त में बरक़रार रहेगा। एशिया पैसिफिक जॉइंट समूह की चीन के गुआंगज़्हाओ में दूसरी समीक्षा बैठक के बाद बताया गया कि पाकिस्तान ने सप्ताहांत में काली सूची में न डाले जाने के लिए कुछ संजीदा कदम उठाये थे और इसका मतलब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वित्त के सभी दरवाजों को बंद कर दिया गया है।
पाकिस्तान की कार्रवाई की तीसरी समीक्षा बैठक का आयोजन सितम्बर में होगा। पाकिस्तान को सभी मसलो से निपटने के लिए 15 महीने का समय दिया गया था। अक्टूबर में एफएटीएफ निर्णय लेगा कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा जाए या काली सूची में शुमार कर दिया जाए।
एफएटीएफ के कूटनीतिक सूत्र ने बताया कि “भारत पाकिस्तान को काली सूची में डालने की कोशिश कर रहा है लेकिन अन्य देशों का मानना है कि इस्लामाबाद को ग्रे फेरहिस्त में ही रखा जाए ताकि पाकिस्तान पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाया जा सके। साल 2012-13 में जब पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाला गया था तो उस दौरान भी इस्लामाबाद ने ऐसे ही वादे किये थे। सूची से हटने के बाद पाकिस्तान अपनी पुरानी पटरी पर वापस लौट आया था।”
पाकिस्तान काली सूची में शामिल न होने के लिए जरुरत से ज्यादा कार्य कर रहा है। एफएटीएफ की अक्टूबर से अध्यक्षता चीन को सौंप दी जाएगी और इसके बाद पाकिस्तान को कुछ सुकून मिल सकता है, लेकिन यह नामुमकिन लगता है क्योंकि इसमें अन्य देश में ताकतवर है।
पाकिस्तान ने प्रतिबंधित समूहों की 800 सम्पत्तियों को जब्त किया है लेकिन पाकिस्तान ने आतंकियों की संपत्ति, हथियारों, विस्फोटक और शिविरों के खिलाफ कार्रवाई में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। एफएटीएफ ने इसके खिलाफ कार्रवाई की अधिक जानकारी की मांग की है।
एफएटीएफ ने इस तथ्य को उठाया कि पाकिस्तान के आतंक रोधी कानून अभी भी एफएटीएफ के निर्देशों के मुताबिक नहीं है। एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान जिन धनशोधन कानूनों का पालन करता है वह एफएटीएफ की स्कीम के अलहदा है।