रूस ने गुरूवार को सूडान में बाहरी दखलंदाज़ी का न होने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि “प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई के बाद संकट से ग्रस्त देश में कानून व्यवस्था को लाना बेहद जरुरी है।” सोमवार को सेना ने सैन्य मुख्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों के शिविरों पर धावा बोला था और इसमें 108 लोगो की मौत हो गयी थी।
निरंकुश शासन के खिलाफ प्रदर्शन के वाद अप्रैल में सेना ने इमर अल बशीर को राष्ट्रपति के पद से बर्खास्त कर दिया था।हालाँकि इसके बावजूद हज़ारो प्रदर्शनकारी सैन्य मुख्यालय के बाहर बैठे हैं ताकि सेना के अधिकारी सत्ता की बागडोर नागरिक सरकार के हाथों में सौंप दे।
रूस के उपविदेश मंत्री मिखाइल बोगदानोव ने सेंट पीटर्सबर्ग में पत्रकारों से कहा कि “हम बाहरी दखलंदाज़ी के सख्त खिलाफ है। कोई भी एक सूडानी जनता पर कुछ थोप नहीं सकता है। रूस सूडान में सभी राजनीतिक ताकतों से संपर्क में हैं। इसमें सेना और विपक्ष भी शामिल है। उन्होंने संकट के समाधान के लिए बातचीत की मांग की थी।”
मंगलवार को चीन और रूस ने यूएन सुरक्षा परिषद् में सूडानी नागरिकों की हत्या की आलोचना में बाधा डाली थी। उन्होंने कहा कि “हालात जटिल होते जा रहे हैं। हम सभी मसलो को राष्ट्रीय बातचीत के तहत सुलझाने के पक्ष में हैं।” उन्होंने ट्रांज़िशनल पीरियड की अहमियत पर जोर दिया जो चुनावो पर खत्म होना चाहिए।”
अफ्रीका के रूस अपने प्रभुत्व को फ़ैलाने की कोशिश कर रहे हैं और उन्होंने जनवरी में कहा था कि वह सूडान में प्रशिक्षकों को भेजा था। सेंट्रल कमिटी ऑफ़ सूडानी डॉक्टर्स ने कहा कि “सैन्य परिषद् के सैनिक ही प्रदर्शनकारियों की मौत के जिम्मेदार है।” सूडानी स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक “कार्रवई से दौरान 46 से अधिक लोगो की हत्या नहीं हुई है।”