अमेरिका ने जारी अफगानी शान्ति वार्ता प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी होने का आग्रह किया है और यह सुनिश्चित करने को कहा कि “तालिबान के साथ बातचीत के दौरान उनकी आवाज़ को भी सुना जाना चाहिए।” पत्र के जरिये अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने राज्य सचिव माइक पोम्पिओ से कहा कि “फरवरी और मई में अमेरिका के अधिकारीयों और तालिबानी सदस्यों के बीच शान्ति वार्ता में अफगानिस्तान की महिलाओं को अलग रखा गया है।”
पत्र के मुताबिक, फरवरी और मई में अमेरिकी अधिकारीयों और तालिबान के बीच दोहा में मुलाकात के दौरान अफगान महिलाओं की भागीदारी नहीं थी। अफगानी महिलाओं की आवाजो को भी सुने जाने की जरुरत नहीं न सिर्फ महिलाओं के अधिकारों पर बल्कि देश के भविष्य में भी उनकी राय जाननी चाहिए।”
पत्र में काँग्रेस के सांसदों में अमेरिकी राज्य विभाग से बातचीत में महिलाओं का संरक्षण करने और तालिबान के साथ चर्चा में उन्हें शामिल करने का आग्रह किया था। इस खत की प्रति को अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमय ख़लीलज़ाद को भी भेजा गया है। साथ ही आग्रह किया गया कि अफगानी महिलाओं की 18 वर्ष की उपलब्धियों का संरक्षण होना चाहिए।
अमेरिकी सांसदो ने अमेरिका के शान्ति संस्थान के हवाले से कहा कि “68000 से अधिक अफगानी महिलायें स्कूल और यूनिवर्सिटी में नियुक्त है और 10000 से अधिक डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी हैं। अफगानिस्तान की महिला उद्यमियों ने अफगानिस्तान में 77000 से अधिक नौकरियों का सृजन किया है। इसका संरक्षण किया जाना चाहिए।”
महिलाओं के अधिकारों की कार्यकर्ता और राष्ट्रपति अशरफ गनी की पूर्व सलाहकार फरखुंदा ज़हरा नादेरी ने कहा कि “अगर आप बातचीत के टेबल पर नहीं हो तो आप सरकार को बरक़रार नहीं रख सकते हैं। जो टेबल पर बैठे हैं, उनके अलहदा विचारो में शान्ति है। अगर आप टेबल पर नहीं है तो इसका मतलब आपके विचार जुदा है।”
अफगान संसद की सदस्य शिंकाई करोखेल ने कहा कि “अफगानी महिलाओं ने भी अपनी आवाज़ सुनी जाने की मांग की है और आज अमेरिकी कांग्रेस ने एक खत भेज दिया है। यह एक सकारात्मक कदम है और इसका मतलब वह महिलाओं की भागीदारी का पूरी तरह समर्थन करते हैं।”
इसकी प्रतिक्रिया में जलमय ख़लीलज़ाद ने कहा कि “अफगानी महिलाओं के अधिकारों और उपलब्धियों को अफगानिस्तान में संरक्षित किया जायेगा।”