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    नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)| भारतीय फुटबाल में सुपर कप को लेकर पैदा हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने टूर्नामेंट में भाग न लेने के कारण आई-लीग क्लबों पर जुर्माना लगाया था। इस बाबत क्लबों ने जब महासंघ से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा तो एआईएफएफ ने एक अलग ही राग अलापा।

    महासंघ ने कहा कि अगर क्लब चाहते हैं कि फैसले पर दोबारा सुनवाई की जाए तो उन्हें इसके लिए अपील दाखिल करनी होगी साथ ही एक तय रकम फीस के तौर पर जमा करनी होगी।

    आईएएनएस से बातचीत करते हुए आई-लीग क्लब के एक अधिकारी ने कहा कि जब उन्होंने एआईएफएफ से सुपर कप में न खेलने पर लगाए गए जुर्माने पर दोबारा सोचने को कहा तो उनसे कहा गया कि वे सात दिनों के अंदर एक अपील दाखिल करें और साथ ही इसके लिए अलग से अपील फीस का भी भुगतान करें।

    अधिकारी ने कहा, “हमें कहा गया कि अगर हमें अपील करनी है तो हमें तीन दिनों के भीतर उसे दाखिल करना होगा इसलिए हमने प्रोटोकॉल का पालन किया। फिर उन्होंने हमसे कहा कि हमें सात दिनों के भीतर एक विस्तृत अपील दायर करनी होगी, लेकिन साथ ही कहा कि हमें अपील के साथ 1.20 लाख रुपये की अपील फीस भी देनी होगी।”

    एक अन्य आई-लीग क्लब के अधिकारी ने भी इसी चीज को दोहराया और कहा कि उन्होंने अपील फीस जमा भी करा दी है। उन्होंने कहा, “हां, उन्होंने सभी क्लबों से अपील फीस जमा कराने के लिए कहा और हमने फीस जमा भी करा दी है।”

    एआईएफएफ की अनुशासन समिति ने 16 मई को सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए पांच क्लबों- गोकुलाम केरला एफसी, मिनर्वा पंजाब एफसी, नेरोका, आईजोल एफसी और चर्चिल ब्रदर्स पर सुपर कप में भाग न लेने के कारण 10-10 लाख रुपये का जर्माना लगाया था। हालांकि, ईस्ट बंगाल पर केवल पांच लाख रुपये को जुर्माना लगाया गया।

    समिति के निर्णय पर उंगलियां उठाई गईं। समिति ने सह-सदस्यों में उषानाथ बनर्जी, हरेश वोरा, आदित्य रेड्डी, प्रतीक चड्डा और माधव एम घोष शामिल थे।

    ईस्ट बंगाल ने समिति से कहा था कि उन्होंने इसलिए प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया क्योंकि उनके स्पांसर क्वेस इसके समर्थन में नहीं था।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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