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    भोपाल, 7 जून (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में जल संकट गहराया हुआ है, लोगों को कई-कई किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद ही पानी मिल पा रहा है। वहीं पानी को लेकर संघर्ष की आशंका बढ़ी है, जिसके चलते गृह विभाग ने जल स्त्रोतों पर पहरा लगाने के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

    राज्य के बड़े हिस्से में नल-जल योजना असफल साबित हो रही है। कुंए और नलकूप सूखने के कगार पर हैं, तालाबों में पानी बहुत कम बचा है। इन स्थितियों में पानी को लेकर तनाव की आशंका बढ़ रही है।

    आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, गृह विभाग ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जल स्त्रोतों पर सुरक्षा बलों की तैनाती करें।

    एक सूत्र ने बताया कि जल स्त्रोतों पर पानी को लेकर किसी तरह का विवाद न हो, इसके लिए सुरक्षा बलों को तैनात किया जा रहा है। अभी यह तय नहीं है कि जल स्त्रोत पर कितने जवानों की तैनाती होगी।

    गृह विभाग की इस पहल पर भाजपा ने चुटकी ली है। प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा, “बिजली विभाग को लेकर सरकार इंटेलिजेंस का सहारा ले रही है और पानी के लिए सुरक्षा बल का। कांग्रेस सरकार चला ही नहीं पा रही है।”

    सिंह के बयान पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा, “ग्रीष्म ऋतु में जल संकट को देखते हुए आपदा प्रबंधन के तहत सुरक्षा व्यवस्था के निर्देश दिए जाते हैं। इस व्यवस्था पर सवाल उठाना जनविरोधी, बचकाना और हास्यास्पद है।”

    दूसरी ओर सरकार दावा कर रही है कि प्रदेश के कुल 378 नगरीय निकायों में से 258 में प्रतिदिन जलापूíत की जा रही है। इस बार जल प्रदाय की स्थिति बीते सालों के मुकाबले कहीं बेहतर है। एक दिन के अंतराल पर जल प्रदाय करने वाले निकायों की संख्या 96 है। दो दिन के अंतराल पर जल प्रदाय करने वाले निकायों की संख्या 28 और तीन दिन के अंतराल पर जल प्रदाय करने वाले निकायों की संख्या एक है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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