ताइवान ने अमेरिका के 100 टैंक खरीदने के आग्रह की पुष्टि कर दी है इसके आलावा हवाई रक्षा और एंटी टैंक मिसाइल सिस्टम को भी अमेरिका से खरीदा जायेगा। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने गुरूवार को इसकी पुष्टि की है। इससे पूर्व की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका जल्द ही दो अरब डॉलर के टैंक और हथियारों को ताइवान को बेचने के लिए हरी झंडी दिखा सकता है।
बयान में मंत्रालय ने कहा कि “उन्होंने 108 एमआईए2 अब्राम टैंक, 1240 टीओडब्ल्यू एंटी आर्मर मिसाइल, 409 जेवलिन एंटी टैंक मिसाइल और 250 स्ट्रिंगर मैन पोर्टेबल एयर डिफेन्स सिस्टम को खरीदने के लिए पत्र भेज दिया है। अमेरिका के समक्ष इसके जवाब के लिए 120 दिनों का वक्त है।”
रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान को 66 अतिरिक्त एफ-16 लड़ाकू विमानों की जरुरत है। गुरूवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि “हम अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियार बेचने को लेकर बेहद चिंतित है।” ताइवान को चीन अपने भूभाग का हिस्सा मानता है और इस पर नियंत्रण के लिए बल के इस्तेमाल की धमकी भी देता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि “अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियार मुहैया न करने करने की बात को चीन दोहराता है ताकि अमेरिकी-चीन द्विपक्षीय सम्बन्ध खराब न हो।” अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध भी जारी है। वांशिगटन ने 250 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर 25 प्रतिशत का शुल्क लगाया है और अन्य 300 अरब डॉलर के सामान पर आयात शुल्क में वृद्धि पर विचार कर रहा है।
चीन ने अमेरिका से आयात 60 अरब डॉलर के उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया है जो एक जून से प्रभावी होंगे। अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियार मुहैया करना 40 वर्ष पूर्व अमेरिकी-ताइवान रिलेशन एक्ट के तहत है। ऐसे कदम चीन को गुस्सा दिला सकते हैं।
1949 से ताइवान-चीन सम्बन्ध
एम1 अब्राम टैंक पुराने टैंको का अपग्रेड वर्जन है जो ताइवान की सेना अभी इस्तेमाल करती है। चीन की खिलाफ ताइवान की सुरक्षा को मज़बूत करने में दंश मदद करते हैं। इसमें 1000 से अधिक एडवांस्ड लड़ाकू विमान और 1500 एक्यूरेट मुसिलए हैं।
साल 1949 में गृह युद्ध के दौरान ताइवान चीन से अलग हो गया था। वांशिगटन ने चीन को साल 1979 में मान्यता दी थी और उसके बाद से ताइवान से अमेरिका के कोई आधिकारिक सम्बन्ध नहीं है। हालाँकि ताइवान को सुरक्षा के लिए उपकरण मुहैया करना जरुरी है।
बीते महीने ताइवान और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने चार दशकों बाद सहयोग को गहरा करने के लिए पहली मुलाकात की थी। चीनी दोनों देशों के बीच किसी भी अधिकारी और सैन्य सम्बन्ध पर विरोध जताता है और कहा कि “द्वीप को हथियार मुहैया करना, हमारे आंतरिक मामले में दखलंदाज़ी करना होगा और वांशिगटन द्वारा शुरू में की गयी प्रतिबद्धताओं के प्रति विश्वासघात होगा।”