अमेरिका के ईरान पर अत्यधिक दबाव के कारण मध्य पूर्व में तनाव बढ़ता जा रहा है, यह चिंतित करने वाला है और सभी पक्षों को संयमता बरतनी चाहिए। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यात्रा के दौरान रुसी मीडिया से बता कही। बीते महीने के बाद से ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।
अमेरिका ने बीते वर्ष साल 2015 में ईरान के साथ हुई परमाणु संधि से अपना नाम वापस ले लिया था और इसके एक वर्ष पूरे होते ही दोनों मुल्कों के बीच चरम पर है। संधि तोड़ने के बाद अमेरिका ने तेहरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था।
अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदने की सभी देशों को दी रिआयत को वापस ले लिया था ताकि ईरान की अर्थव्यवस्था को बदहाल किया जा सके। अमेरिका ने सैन्य संघर्ष की धमकी दी थी और मध्यपूर्व में ईरानी खतरे के जवाब के लिए अतिरिक्त सैन्य बल की तैनाती की थी।
शी जिनपिंग ने टीआईएसएस न्यूज़ एजेंसी और रोसियस्काया गैज़ेट अखबार से कहा कि “वांशिगटन ने ताहरां पर अत्यधिक दबाव और एकतरफा प्रतिबन्ध थोप रखे हैं इसलिए मध्य पूर्व में तनाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। हालातो का बिगड़ना चिंतित करने वाला है।”
उन्होंने कहा कि “ईरानी परमाणु समझौते को पूरी तरह अमल में लाना और उसका सम्मान करना चाहिए क्योंकि यह मध्य पूर्व और परमाणु निरस्त्रीकरण में स्थिरता और शांति के लियए बेहद महत्वपूर्ण है। ईरान के परमाणु मामले पर चीन और रूस के विचार और स्थिति एकसमान है। उम्मीद है सभी सम्बंधित पक्ष संयमता बरतेंगे, बातचीत और चर्चा को बढ़ाएंगे और मौजूदा तनावग्रस्त हालात में गर्मी को कम करेंगे।”
अमेरिका के देशों और कंपनियों के खिलाफ खतरे से चीन काफी क्रोधित है और ईरानी तेल का आयात कर अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहा है। चीन और ईरान के काफी नजदीकी सम्बन्ध है। शी जिनपिंग ने प्रत्यक्ष तौर पर तेल प्रतिबंध मामले को सम्बोधित नहीं किया था लेकिन कहा कि “चीन खुद की वैध और कानूनी अधिकारों व हितो की रक्षा करने दृढ़ता से जारी रखेगा।”