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    किसान

    नई दिल्ली/लखनऊ, 4 जून (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में किसानों के साथ धोखाधड़ी का एक मामला प्रकाश में आया है, गरीब किसानों को बांटने के लिए कई क्विंटल बीज खरीद कर उनको मुहैया करवाई गई है। मगर, यह खरीद व आपूर्ति महज कागजों में हुई है। किसानों को इससे कुछ नहीं मिला।

    धोखाधड़ी के इस मामले में बीज खरीद की फर्जी रसीदों पर अधिकारियों के हस्ताक्षर व सरकार की मुहर का स्पष्ट तौर पर इस्तेमाल किया गया था।

    शुरुआती जांच में बताया गया है कि इस घोटाले के अधिकांश हिस्से पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान अंजाम दिया गया है।

    अब तक 16.56 करोड़ रुपये की फर्जी रसीदों का पता चला है। यह इस बड़े घोटाले का अंश मात्र है।

    सरकारी धन के इस दुरुपयोग के संबंध में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आर्थिक अपराध शाखा को यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि बीज घोटाला सिर्फ कानपुर (सरकारी गोदाम) में ही हुआ या उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों में भी ऐसा हुआ है।

    कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उमाशंकर पाठक ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि कानपुर पुलिस ने उत्तर बीज एवं विकास निगम की जांच के आधार पर पहले ही प्राथमिकी दर्ज की है।

    यह घोटाला पिछले साल तब उजागर हुआ जब बीज निगम ने भुगतान के लिए अपना बिल कृषि विभाग के पास भेजा।

    जांच के दौरान 99 लाख रुपये का एक फर्जी बिल पाया गया। बाद में घोटाले की विभागीय जांच शुरू की गई।

    सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल (2007-2012) और उसके बाद सत्ता में आए अखिलेश यादव के कार्यकाल (2012-2017) के दौरान 16.16 करोड़ रुपये के बिल फर्जी पाए गए।

    एक अधिकारी ने बताया, “हम मामले में किसी मंत्री या शीर्ष नौकरशाह की संलिप्तता से इनकार नहीं कर सकते हैं। ऐसा लगता है कि शीर्ष स्तर पर मिलीभगत थी।”

    सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि 9080 और 7188 दो सीरीज की संख्या वाली रसीद फर्जी थीं। यह जांच कानपुर स्थित गोदाम पर केंद्रित थी।

    उन्होंने बताया कि प्रमुख अधिकारियों और भंडार के निचले स्तर के कर्मचारियों ने सिर्फ कागजों पर बीजों की खरीद और आपूर्ति दिखाई।

    बाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने बिलों को अग्रसारित किया और भुगतान किया गया।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े खर्च वाले अहम मंत्रालयों के सचिवों को आंतरिक लेखापरीक्षा पर ध्यान देने का निर्देश दिया है ताकि सक्षम तरीके से सरकार का संचालन सुनिश्चित हो।

    मुख्यमंत्री ने पहले ही भ्रष्टाचार का अड्डा बने पशुपालन और चकबंदी विभागों के कई भ्रष्ट अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इससे पहले गोमती रिवर फ्रंट योजना और खनन घोटाला जैसे भ्रष्टाचार से संबंधित अहम मामलों की जांच मुख्यमंत्री ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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