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    ताइवान

    ताइवान ने सोमवार को कहा कि “चीन को निष्ठा से थियाननमान स्क्वायर में आज़ादी के समर्थको पर खूनी कार्रवाई के लिए प्रायश्चित करना चाहिए। जबकि चीनी अखबार ने कहा कि “चीन में कोई भी अतीत को खींचने में दिलचस्पी नहीं रखता है।” मंगलवार को इस वारदात को 30 वर्ष हो जाएंगे और इसमें चीनी सैनिको ने छात्रों के प्रदर्शन को रोकने के लिए ओपन फायरिंग की थी।

    चीन को प्रायश्चित करना चाहिए

    चीनी विभागों ने इस आयोजन के सार्वजानिक स्मरणोत्सव पर पाबन्दी लगा दी थी और इसमें मृत्यु का कोई स्पष्ट आंकड़ा जारी नहीं किया था। ताइवान के मुख्यभूमि मामलो के परिषद् ने कहा कि “चीन को निष्ठा से 4 जून की वारदात के  पश्चाताप करना चाहिए और सक्रियता से लोकतान्त्रिक सुधारो की तरफ बढ़ना चाहिए।”

    उन्होंने कहा कि “हम ईमानदारी से सलाह देते हैं चीनी विभागों को इतिहास की गलती का सामना करना चाहिए और जल्द से जल्द इसके लिए माफ़ी मांगनी चाहिए। 1989 के समारोह को छिपाने के लिए बीजिंग ने कई झूठ बोले हैं और सच को तोड़ मरोड़कर पेश किया है।”

    चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि “70 सालो पूर्व पीपल रिपब्लिक ऑफ़ चीन की स्थापना हुई थी और तब सरे महान उपलब्धियां हासिल की है। हमने विकास के जिस मार्ग को चुना था वह पूरी तरह सही था।”

    एक धुंधला इतिहास

    चीन के सरकार अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, शायद ही इसने चीन को प्रभावित किया होगा, यह वारदात देश के लिए लम्बे समय तक परेशानी का सबब नहीं रही है। यह वारदात वास्तविक झंझट की बजाये एक इतिहास का धुंधला आयोजन बन चुका है। बहरहाल, इस शोर का चीनी समाज पर कोई असल प्रभाव नहीं पड़ेगा। बाहरी ताकतों की कार्रवाई हमारे काबू में हैं।”

    चीन की आलोचना के लिए ताइवान थियाननमान स्क्वायर की सालगिरह का इस्तेमाल करता है और चीन के किये का उसको सामना करने को कहता है।”

    ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन के कहा कि “4 जून 1989 चीन के लिए एक ऐतिहासिक टर्निंग पॉइंट था क्योंकि इसके बाद चीन ने लोकतान्त्रिक विकास के एक अलग ही मांग का चयन किया था। चीन ने हालिया वर्षों में आर्थिक विकास में प्रगति तो की है लेकिन वहां मानव अधिकारों और आज़ादी को बर्बरता से कुचला जा रहा है।”

    उन्होंने कहा कि “मुख्यभूमि चीन में मानव अधिकारों और लोकतंत्र के विकास के बाबत हम भी ख्याल रखने हैं और उम्मीद है कि चीन उसी मार्ग की तरफ अग्रसर होगा।” ताइवान को चीन एक विद्रोही देश मानता है जो 1949 के हिंसक नागरिक युद्ध के अंत में अलग हो गया था।

    चीनी रक्षा मंत्री ने कहा था कि “चीन से ताइवान अलहदा करने की कोई भी कोशिश सफल नहीं होगी। ताइवान में कोई भी दखलंदाज़ी का परिणाम असफलता का मुंह देखना होगा। अगर कोई चीन से ताइवान को अलहदा करने की कोशिश करेगा तो चीनी सेना के समक्ष लड़ाई के आलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।”

    चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंग्हे ने कहा था कि “इस अराजकता को रोकने के लिए सरकार ने निर्णायक फैसला किया था। इसके कारण चीन में स्थिरता है, अगर आप चीन की यात्रा करेंगे तो आप समझेंगे कि यह इतिहास का भाग है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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