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    एमएस धोनी

    महान एमएस धोनी अपनी पीढ़ी के सबसे अधिक पसंद और सम्मानित क्रिकेटरों में से हैं और उनके बेशुमार लामबंदी के पीछे कई कारण हैं। 37 वर्षीय के पास अपने नाम सभी आईसीसी ट्रॉफी है, जिसमें विश्वकप, टी-20 विश्वकप और चैंपियंस ट्रॉफी शामिल है। उन्होने अपनी कप्तानी में भारतो को आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचाया था।

    अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने नाम 15,000 से ज्यादा रन के साथ इस समय धोनी अपने क्रिकेट करियर के आखिरी पढ़ाव पर है, लेकिन उन्होंने उत्साह नहीं खोया और कल्पना की किसी भी सीमा तक सफल होने का आग्रह किया। विकेटकीपर बल्लेबाज के लिए साल 2018 शानदार नही रहा और कई लोगो का मानना था अब धोनी का सन्यांस लेने का समय आ गया है। हालांकि, यह साल उनके लिए शानदार रहा है और वह वर्तमान में शानदार फॉर्म में है।

    वह वर्तमान में इंग्लैंड एंव वेल्स में है, जहां भारत को 5 जून को दक्षिण-अफ्रीका के खिलाफ विश्वकप का अपना पहला मैच खेलना है। अभ्यास मैच में न्यूजीलैंड की टीम कुछ खासा प्रदर्शन नही दिखा पाई और टीम को उनके खिलाफ हार का सामना करना पड़ा उसके बाद भारतीय टीम ने अगले मैच में बांग्लादेश को 95 रनो से मात दी थी।

    पिच पर अपनी महारत के अलावा धोनी के पास अपने खेल से जुड़ा एक अंधविश्वास भी है। उन्होंने मैदान पर जाते समय कई कदम उठाए। इसके अलावा, वह एक समय में मेमोरी लेन से नीचे चला गया जब उसने टेस्ट क्रिकेट में महत्वपूर्ण संख्या में टॉस खो दिया था।

    मैं तब सर्वश्रेष्ठ होता हूं जब मेरे पास अधिक विकल्प होते है

    धोनी ने इंडियन क्रिकेट हीरोज पुरस्कार समारोह में कहा, “मुझे लगता है कि अधिकांश क्रिकेटर बहुत सी चीजों को लेकर अंधविश्वासी हैं और हम इसे किसी भी चीज से ज्यादा दिनचर्या कहते हैं। हम पता लगाते हैं कि यह एक बाएं पैर या दायां पैर था, कभी-कभी मैं भी ऐसा करता हूं कि मैदान के अंदर बाएं या दाएं पैर ले जाऊं, थोड़ी देर बाद मैं भ्रमित हो गया कि क्या यह बाएं पैर या दाएं पैर था?”

    https://www.youtube.com/watch?v=9FZXc9wDddo

    उन्होने उल्लेख किया, ” मैं तब अच्छा होता हूं जब मेरे पास अधिक विकल्प होते है, जब मेरे पास दो विकल्प होते है तो मैं परेशान हो जाता हूं। एक समय ऐसा था जब मैं 33 या 32 में से 29 टेस्ट मैचो में टॉस हारा था और ज्यादातर टेस्ट सीरीज भारत में थी। कई बार मैं गया और मैंने कहा कोई नही मैं इसमें बदलाव करुंगा और फिर मैंने आईपीएल में इस अंधविश्वास पर बदलाव किया और फिर मैं याद नही रखता था कि मैंने पिछले मैच में मैदान पर पहला दाया या बायां पैरा रखा था।”

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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