Mon. Dec 23rd, 2024
    राहुल गाँधी

    “जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
    मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान”

    आज से बहुत पहले कबीरदास जी ने लोगो को समझाया था कि इंसान की जाति को नहीं उसके ज्ञान को महत्व देना चाहिए। मोल तलवार का होना चाहिए ना कि म्यान का, लेकिन भारतीय चुनाव की बात बहुत अलग है। यहां अगर कुछ सबसे अहम मानी जाती है तो वह है जाति और धर्म। इन दो चीज़ो के इर्द गिर्द ही चुनाव की सारी राजनीती घूमती है।

    विकास, रोजगार, शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ, और अर्थव्यस्था जैसे सारे मुद्दे जाति और धर्म के आगे छोटे पड़ जाते है। जब से राहुल गांधी को लेकर उनके धर्म और जाति का विवाद सामने आया है तब से तमाम सारे चुनावी मुद्दे कहीं पीछे चले गए है। अब इस चुनाव में हर कोई राहुल के धर्म को लेकर सवाल कर रहा है।

    मीडिया चैनलों में भी बड़े बड़े विशेषज्ञ इस मुद्दे पर वाद विवाद कर रहें है। कांग्रेस इस मुद्दे पर सफाई देने का प्रयत्न कर रहीं है तो बीजेपी राहुल के धर्म को लेकर सवाल खड़े कर रहीं है। कांग्रेस क्यों राहुल को हिन्दू बताना चाहती है और बीजेपी क्यों राहुल को गैर हिन्दू बताना चाहती है यह बात भी सोचने वाली है।

    राहुल के हिन्दू होने या ना होने से इस चुनाव में बीजेपी को क्या मतलब हो सकता है? क्या राहुल के धर्म पर प्रहार करना मात्र इल्जाम भर है, या इसके पीछे भी कोई बीजेपी का चुनावी स्टंट है?

    हिन्दुओं के मुद्दे पर बीजेपी का विवाद करना तो एक हद तक फिर भी समझ आता है लेकिन इस चुनाव में आखिर क्यों कांग्रेस इस मुद्दे पर सफाई दे रहीं है? राहुल को हिन्दू साबित करना कांग्रेस के लिए कहीं इसलिए तो आवश्यक नहीं है क्यूंकि गुजरात में हिन्दुओं की आबादी सबसे जायदा है।

    धर्म 

    जनसंख्या 

    प्रतिशत में

    हिन्दू53,533,98888.57 %
    मुस्लिम5,846,7619.67 %
    जैन579,6540.96 %
    ईसाई316,1780.52 %
    सिख58,2460.10 %
    उपलब्ध नहीं है57,9020.10 %
    बौद्ध30,4830.05 %
    अन्य16,4800.03 %

    गुजरात की धार्मिक जनसंख्या

    गौर करे कि यहां पाटीदार समाज भी मुस्लिमों से मतभेद रखे बैठी है। कांग्रेस यह भी जानती है कि पाटीदारों का साथ पाने के लिए कुछ दिनों तक मुस्लिमों के हितों को नजरअंदाज करना सही होगा क्यूंकि चुनाव में पाटीदारों का साथ ही किसी पार्टी की जीत और हार ना निर्णय करने में सहायक होगी।

    बीजेपी इस मुद्दे पर राहुल गांधी को गैर हिन्दू साबित करके यह सन्देश देना चाहती है कि कांग्रेस पार्टी शुरू से ही हिन्दु विरोधी पार्टी रही है। जब से रजिस्टर विवाद ख़बरों में आया है, सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सप्प फेसबुक में अफवाहों का बाजार गर्म है। लोग अपनी अपनी तरह से रजिस्टर विवाद का आंकलन कर रहें है।

    इस विवाद में अब कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश सिंह भी कूद पड़े है। अपने एक ट्वीट में उन्होने कहा है कि मोदी के राज में हिन्दुओं को हिन्दू साबित होना पड़ रहा है। अखिलेश ने ट्वीट किया है कि “मोदी के राज मे क्या अब हर सनातनी ब्राह्मण को हिन्दू होना साबित करना होगा। ब्राह्मणों से इतनी नफ़रत !”

    राहुल गांधी हिन्दू ही है इस बात का सबूत देने के लिए उन्होने दो फोटो भी शेयर की है। यह दोनों फोटो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के अंतिम संस्कार का है। इन तस्वीरों में राहुल दोनों का अंतिमसंस्कार हिन्दू रीति रिवाजों से से करते नजर आ रहे है।

    राहुल गांधी को गैर हिन्दू बताने वालों को अखिलेश ने आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि “सनातनी ब्राह्मण बिरोधि भाजपाईयो देख लो, अपने दादी और अपने पिता का अंतिम संस्कार किस रिति से कर रहे है,कितना निचे गिरेगी भाजपा “

    इस मामले में कांग्रेस हर कीमत पर राहुल को निर्दोष साबित करना चाहती है अखिलेश ने राहुल का बचाव करते हुए थोड़ी देर पहले ही एक और ट्वीट किया है कि “सोमनाथ मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया है कि राहुल जी ने सिर्फ़ आगन्तुक पुस्तिका पर ही अपनी भावना लिखी थी,कटपेस्ट फोटोशाप डर्टिट्रिक, डिपार्टमेन्ट अपना काम कर रहा है, लेकिन गुजरात की जनता मोदी से हिसाब ले कर रहेगी”

    रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा रजिस्टर पर हस्ताक्षर राहुल के नहीं है

    मामले में सबसे बड़ा बयान कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दिया है। उन्होने कहा है कि ना तो राहुल को किसी भी प्रकार का कोई रजिस्टर दिया गया था और ना ही उस रजिस्टर पर हस्ताक्षर राहुल गांधी के है। राहुल को हिन्दू साबित करने के लिए उन्होने उनकी कई फोटो भी शेयर किए।

    सुरजेवाला ने राहुल गाँधी के हिन्दू होने के प्रामण दिए

    यह मामला बढ़ गया है या इसे बेवजह इस मामले को बढ़ाया जा रहा है? अगर इस मामले को बढ़ाया जा रहा है तो इससे सबसे जायदा फायदा किसको पहुंचेगा? क्या राहुल को गैर हिन्दू साबित करना बीजेपी के पक्ष में है? तमाम मुद्दे को छोड़कर मीडिया यही मुद्दा लोगों को क्यों दिखाना चाहती है? लोग इस बारे में सच में कुछ जानना चाहते है या इस मुद्दे को जबदस्ती लोगों पर थोपा जा रहा है? क्या इस मुद्दे को हवा देने का फायदा मीडिया को भी हो रहा है? इन सारे सवालों का जवाब ढूंढा जाना जरूरी है।