बांदा (उप्र), 1 जून (आईएएनएस)| दैवीय आपदाओं का दंश झेल रहे उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी 19 सीटें और इस लोकसभा चुनाव में सभी चार सीटें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झोली में डाली। लेकिन उसके नसीब में उपेक्षा ही बदी है। सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार की तरह नवगठित केंद्र की मोदी सरकार में भी बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
उत्तर प्रदेश के हिस्से वाला बुंदेलखंड पिछले कई दशक से दैवीय आपदाओं का दंश झेल रहा है। यहां का किसान ‘कर्ज’ और ‘मर्ज’ से आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर है। किसानों ने लामबंद होकर 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी 19 और हाल के लोकसभा चुनाव में सभी चार सीटें भाजपा की झोली में इस उम्मीद से डाली थी कि उनके किसी एक प्रतिनिधि को मंत्रिमंडल में जगह जरूर मिलेगी। लेकिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस इलाके को ‘अछूत’ समझा है।
हां, मोदी ने पद एवं गोपनीयता की शपथ लेते ही बुंदेलखंड के बांदा जिले की अपनी चुनावी जनसभा में किया वादा पूरा किया और ‘जल शक्ति’ मंत्रालय का गठन कर गजेंद्र सिंह शेखावत को विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी। लेकिन यह जिम्मेदारी अगर किसी बुंदेली सांसद को दी गई होती तो शायद हर बुंदेली का सीना 56 इंच का होता।
बुंदेली मतदाताओं ने बांदा-चित्रकूट से आर.के. सिंह पटेल, हमीरपुर-महोबा से पुष्पेंद्र चन्देल, जालौन से भानुप्रताप सिंह वर्मा और झांसी-ललितपुर संसदीय क्षेत्र से अनुराग शर्मा को अपना सांसद चुना है। ये सभी भाजपा से हैं। इनमें भानुप्रताप पांचवीं बार भाजपा से सांसद चुने गए हैं। पुष्पेंद्र सिंह लगातार दूसरी बार जीते हैं। रही बात पटेल की तो वह मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और कई बार विधायक चुने जाने के बाद 2009 में बांदा से सपा सांसद और वर्तमान में मानिकपुर से भाजपा विधायक रहते चुनाव जीते हैं। लेकिन केंद्र में मंत्री बनने की काबिलियत किसी में नहीं थी।
अगर सूबे की राज्य सरकार में प्रतिनिधित्व की बात करें तो योगी सरकार में उरई-जालौन के अस्थायी निवासी (मूलत: मिजार्पुर जिला निवासी) स्वतन्त्र देव सिंह (स्वतन्त्र प्रभार राज्यमंत्री) और हमीरपुर जिले की निवासी फतेहपुर सांसद (बुंदेलखंड नहीं) साध्वी निरंजन ज्योति केंद्र में राज्यमंत्री गनाई गई हैं, जो नाकाफी है।
बुंदेलखंड किसान यूनियन के अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा कहते हैं, “पहले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा की सभी सीटें जीतने पर लगा था कि भाजपा निश्चित रूप से अपने नए नारे ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ पर अमल कर बुंदेलखंड के लोगों का विश्वास जीतेगी। लेकिन पहले योगी जी ने ‘अछूत’ माना और अब मोदी जी ने भी उनके नक्शेकदम पर बुंदेलखंड को ‘दूध में पड़ी मक्खी’ की तरह निकाल फेंका है।”
उन्होंने कहा, “यहां का किसान ‘कर्ज’ और ‘मर्ज’ के बोझ तले इतना दब चुका है कि आए दिन आत्मघाती कदम उठाने की घटनाएं समाचार पत्रों की सुर्खियां बनती हैं। फिर भी दोनों सरकारों द्वारा इलाके को मंत्रिमंडल में तरजीह न दिए जाने से मायूसी तो छाएगी ही।”
94 वर्षीय स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और वरिष्ठ समाजवादी चिंतक जमुना प्रसाद बोस कहते हैं, “अब तक की केंद्र या राज्य सरकारों में बुंदेलखंड से एक नहीं, कई-कई मंत्री हुआ करते थे। राज्य व केंद्र की भाजपा सरकारों ने तवज्जो न देकर बुंदेलखंड की तौहीनी की है।”
हालांकि उन्होंने कहा कि “मंत्री बनाना या न बनाना सरकारों के मुखिया का विशेषाधिकार है। फिर भी क्षेत्रीय संतुलन के हिसाब से प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।”
बुजुर्ग अधिवक्ता और राजनीतिक विश्लेषक रणवीर सिंह चौहान (75) का मानना है, “महाराष्ट्र के विदर्भ जैसी स्थिति से गुजर रहे बुंदेलखंड से केंद्र व राज्य सरकार की कैबिनेट में बुंदेली होना चाहिए था, ताकि यहां के हालातों से सरकारें अवगत रहतीं और बुंदेलियों को उबारने के लिए सकारात्मक प्रयास भी होते।”
बांदा जिले के भाजपा अध्यक्ष लवलेश सिंह कहते हैं, “केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों की निगाहों में बुंदेलखंड की समस्याएं हैं। मोदी जी ने शपथ लेते ही अपना वादा पूरा करते हुए जल शक्ति मंत्रालय का गठन कर दिया है, जो विशेष कर बुंदेलखंड में पीने के पानी की किल्लत दूर करेगा।”
उन्होंने कहा, “केंद्र में उत्तर प्रदेश से नौ मंत्री बनाए गए हैं, जिनमे चार कैबिनेट मंत्री हैं। जल्द ही योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल विस्तार में बुंदेलखंड का कम से कम एक विधायक कैबिनेट में शामिल किया जाएगा।”