भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बुधवार को रूस के सोची शहर में पहुंची है। यह सम्मेलन 30 नवंबर से 1 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। भारत की तरफ से शंघाई शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधित्व सुषमा स्वराज कर रही है।
Hon’ble EAM Smt. Sushma Swaraj arrives in Sochi to represent India in SCO council Heads of Government meeting on 30 Nov. & 1 Dec. She was received by Mayor of Sochi Mr. Anatoly Pakhomov and Indian Amb. Mr.Pankaj Saran.@PankajSaran11 @SushmaSwaraj @DDNewsHindi pic.twitter.com/lkPNvVy97n
— India in Russia (@IndEmbMoscow) November 29, 2017
इस सम्मेलन में खाड़ी और अफगानिस्तान में वर्तमान स्थितियों सहित क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की संभावना है। इसके अलावा भारत का मुख्य मकसद आतंकवाद के खिलाफ देशों को एकत्रित करना रहेगा। शंघाई शिखर सम्मेलन में भारत आतंकवाद को रोकने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक प्रयासों के लिए दबाव डाल सकता है।
गौरतलब है कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना में जून माह में शंघाई शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। हाल ही में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सुषमा स्वराज शंघाई शिखर सम्मेलन के दौरान कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठके करेगी।
इस सम्मेलन में चीन व पाकिस्तान जैसे देश भी सम्मलित होंगे। लेकिन अभी तक ये तय नहीं है कि सुषमा स्वराज पाकिस्तान के विदेश मंत्री व चीनी प्रतिनिधि के साथ मुलाकात करेगी या नहीं।
चीन व पाकिस्तान के साथ मुलाकात करने के बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। शंघाई शिखर सम्मेलन से सुषमा स्वराज 2 दिसंबर को वापस भारत लौटेगी।
भारत को रूस व पाक को चीन ने दिया था समर्थन
गौरतलब है कि पिछले साल जून माह में भारत व पाकिस्तान शंघाई सहयोग संगठन के पूर्णकालिक सदस्य बन गए थे। भारत की सदस्यता का समर्थन रूस ने किया था, वहीं पाकिस्तान की सदस्यता का समर्थन चीन ने किया था।
भारत 2005 से शंघाई सहयोग संगठन में एक पर्यवेक्षक था। शिखर सम्मेलन में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग के साथ आतंकवाद जैसे मुद्दो पर बातचीत होगी।
शंघाई सहयोग संगठन क्या है?
जून 2001 में चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन शुरू किया और नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निपटने और व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए समझौता किया।
शुरूआत में इसे शंघाई फाइव कहा जाता था। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर सहयोग बढ़ाना है। वहीं इसे अमेरिका के नाटो के खिलाफ एक संगठन के तौर पर भी देखा जाता है।