पटना, 30 मई (आईएएनएस)| बिहार के राज्यपाल ने यहां गुरुवार को कहा कि विश्व पटल पर नए भारत का पुनरुत्थान हो रहा है। उन्होंने कहा कि आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ शैक्षिक एवं सांस्कृतिक समृद्धि भी बेहद जरूरी होती है। भारत की प्राचीन ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध रही है।
बिहार के राज्यपाल और कुलाधिपति लालजी टंडन ने यहां एस़ क़े मेमोरियल हॉल में आयोजित पटना विश्वविद्यालय के वार्षिक ‘दीक्षांत समारोह’ के अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि आज जरूरत है कि प्राचीन सांस्कृतिक और शैक्षिक समृद्धि से प्रेरणा ग्रहण करते हुए मौजूदा दौर की चुनौतियों का सामना करने के लिए हम दृढ़संकल्पित हों।
उन्होंने कहा, “लार्ड मैकाले के बाद शिक्षा व्यवस्था की जगह हमें अपनी जड़ों में ही जीवंत तत्वों की खोज कर समाधान के मार्ग तलाशने होंगे। हम आज लॉर्ड मैकाले की सोच से उबरकर, चंदा-राशि से बीएचयू जैसा भव्य शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने वाले पं़ मदन मोहन मालवीय की शैक्षिक विचारधारा की ओर मुड़ रहे हैं।”
टंडन ने कहा कि इस ‘दीक्षांत समारोह’ का परिधान और माथे की ‘मालवीय टोपी’ यह बता रही है कि हम अपनी मूल ‘थाती’ से प्रेरणा ग्रहण करना सीख गए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि बिहार राज्य में भी उच्च शिक्षा का तेजी से विकास हो रहा है।
उन्होंने कहा कि पटना विश्वविद्यालय के इस बार के ‘दीक्षांत समारोह’ में कुल 42 स्वर्ण पदकों में से 31 स्वर्ण पदक मेधावी छात्राओं को ही मिले हैं। यह राज्य में महिला सशक्तीकरण की सुदृढ़ स्थिति का संकेतक है।
कार्यक्रम में राज्य के शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा पर सबसे अधिक राशि खर्च कर रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राज्यपाल के मार्गदर्शन में उच्च शिक्षा प्रक्षेत्र को आधुनिक युग की जरूरतों के अनुरूप विकसित करने में निश्चय ही कामयाबी मिलेगी।
‘दीक्षांत-समारोह’ में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ रासबिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षकों की कमी की समस्या से निबटने के लिए 95 अंशकालिक शिक्षकों को शीघ्र ही विश्वविद्यालय प्रशासन नियुक्त करेगा। उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट शोध-पत्र प्रस्तुत करनेवाले शिक्षक, छात्र भी प्रोत्साहित हो रहे हैं।
‘दीक्षांत समारोह’ में 2018 में उत्तीर्ण कुल 1608 विद्यार्थियों में 872 को डिग्री प्रदान की गई। कुल उत्तीर्ण विद्यार्थियों में 895 छात्राएं रहीं।