नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)| इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने तम्बाकू नियंत्रण के लिए देशव्यापी जागरूकता अभियान शुरू किया है। इसके लिए आईएमए तंबाकू नियंत्रण परियोजना के बैनर तले ट्रेनर्स को ट्रेनिंग देने के लिए आईएमए की सभी साखाओं में रीजनल वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
वर्कशॉप का उद्देश्य आईएमए लीडर्स और सदस्यों को जागरूक करना और उन्हें महामारी विज्ञान, प्रभाव, आवश्यकता और तंबाकू नियंत्रण के लिए सही प्लान के बारे में सूचित करना था। प्रतिभागियों को बताया गया कि कैसे तंबाकू उनके लिए खतरनाक है और कैसे वे अपनी इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं। डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी, एमपीओडब्लूईआर, सीओटीपीए और इसके इम्पलीमेंटेशन पर भी चर्चा की गई।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सांतनु सेन ने बताया, “भारत में हर तरह के इलेक्ट्रोनिक निकोटीन सिस्टम (ईएनडीएस) को पूरी तरह से बैन करने के लिए केंद्र सरकार की हालिया एडवाइसरी के बाद भी बड़े शहरों में ई-सिगरेट और हुक्का आसानी से उप्लब्ध हैं। कई फ्लेवर्स में उपलब्ध और ट्रेंडी होने के कारण, यह युवाओं और गैर-धूम्रपान करने वालों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। ये सभी चीजें सीधा-सीधा लोगों को नुकसान पंहुचाती हैं और पारंपरिक सिगरेट के समान ही भयानक हैं। आईएमए ने अपनी केंद्रीय कार्य समिति की बैठक में हाल ही में ईएनडीएस के रूप में लोकप्रिय ई-सिगरेट के उपयोग का विरोध करने का फैसला किया।”
आईएमए के सभी सदस्यों को तम्बाकू नियंत्रण, रोकथाम, कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए आईएमए ने डॉक्टरों के लिए एंटी टोबैको स्लोगन प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता और अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों सहित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। स्लोगन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा, साथ ही उनके न्यूजलेटर में प्रकाशित भी किया जाएगा।
भारत में तंबाकू हर साल लगभग 1.3 मिलियन लोगों की जान लेने के अलावा यह कई बीमारियों को जन्म देता है जिसके कारण यह राष्ट्रीय इकोनॉमी पर एक बोझ बन चुका है। यह 13 प्राकर के कैंसरों का यह इकलौता कारण है जिसमें सिर और गर्दन का भी कैंसर शामिल है। ये सभी कैंसर भारत में दुनिया के किसी भी देश से अधिक देखने को मिलते हैं। हाईपरटेंशन के बाद सीवीडी का दूसरा सबसे बड़ा कारण तंबाकू है।
आईएमए तंबाकू नियंत्रण समिति के अध्यक्ष डॉ. दिलीप कुमार आचार्य ने कहा कि युवाओं को तम्बाकू शुरू करने से रोकने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। कड़े किशोर न्याय अधिनियम के बावजूद, जिसमें 18 साल से कम उम्र के बच्चे को तंबाकू बेचने के लिए 1 लाख तक का जुर्माना और 7 साल तक के कारावास का भी प्रावधान है, लोग तम्बाकू सेवन को बंद नहीं कर पा रहे हैं।