तालिबान के लड़ाकों ने अफगानिस्तान की ऐतिहासिक मीनार को रक्षा मुहैया करने वाली सुरक्षा चौकियों पर हमला किया था और इसमें 18 सैनिको की मौत हो गयी है। यूनेस्को ने इसे वैश्विक धरोहर स्थल करार दिया है। एक हफ्ते के हमले के बाद ही 12 वीं सदी में निर्मित की मीनार पर हमला किया गया है। यह पश्चिमी प्रान्त घोर में स्थापित है और बाढ़ के पानी के बहाव से भी इस मीनार को खतरा है।
घोर के पुलिस उपाध्यक्ष सईद जिअ हुस्सैनी ने कहा कि “मीनार के करीब कुछ चौकियों पर तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया है। हमें पीछे हटना होगा क्योंकि अधिक संघर्ष मीनार को क्षति पंहुचा सकता है।”
प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता अब्दुल हाई खाटेबि ने कहा कि “सोमवार को शुरू हुए इस हमले में 15 सरकारी सैनिको और तीन पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गयी है।” घोर प्रान्त के सूचना और सांस्कृतिक अधिकारी फखरुद्दीन अरियपुर ने कहा कि ” तालिबान ने टेलीकम्यूनिकेशन टावर को बंद कर दिया है और इस क्षेत्र तक पंहुच के सभी मार्गो को बंद कर दिया है। बाढ़ से हुई गन्दगी की सफाई का कार्य रोक दिया गया है और हम नहीं जानते कि वहां क्या हो रहा है।”
बीते हफ्ते जारी वीडियो में प्रवाह से मीनार के बुनियाद की ईंटे ध्वस्त ही गयी थी। इसका निर्माण साल 1190 के हुआ था। सोमवार को सरकार ने कहा कि “टावर से बाढ़ के पानी को हटाने के लिए 300 स्थानीय कर्मचारियों को भर्ती किया गया है। इस कार्य से मीनार को खतरे से बचाया गया है।”
यह क्षेत्र अधिकतर तालिबान के नियंत्रण में हैं। जाम मीनार दुनिया की ईंटो से निर्मित दूसरी सबसे लम्बी मीनार है। इसकी ऊंचाई 213 फ़ीट के करीब है। यह घोर और हेरात प्रान्त के सीमांत पर स्थित है जो पूर्व घोरिड साम्राज्य का हृदय था। इस साम्राज्य ने 12 वीं से 13 वीं सदी में अफगानिस्तान और भारत के कई भागो पर नियंत्रण स्थापित किया था।